दैनिक वेतन भोगियों का वेतन घटाएगी सरकार

भोपाल। प्रदेश के 55 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियमितीकरण की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार इन्हें नियमित वेतनमान देने को तैयार है, लेकिन इन्हें चतुर्थ श्रेणी में न्यूनतम वेतनमान देने की तैयारी है, जिससे ऐसे हालात बनेंगे कि हजारों कर्मचारियों को नियमित होने के बाद अभी मिल रहे वेतन से कम राशि मिलेगी। वर्तमान में 60 फीसदी दैवेभो कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी संवर्ग में काम कर रहे हैं, जबकि 40 फीसदी पिछले 15 साल से तृतीय श्रेणी संवर्ग में कार्यरत हैं।

कर्मचारी उसी संवर्ग का वेतनमान चाहते हैं, जिसमें वे कार्य कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में भी यही कहा गया है। हालांकि सरकार ने दूसरा रास्ता अख्तियार कर लिया है। इन्हें नियमित वेतनमान देने के लिए बनाई जा रही नीति में सभी दैवेभो कर्मचारियों को 4440-7440 के स्केल में वेतनमान देने की तैयारी है।

हाल ही में जल संसाधन विभाग ने इसी फार्मूले पर 130 दैवेभो को नियमित वेतनमान देने के आदेश जारी किए हैं, जिससे दैवेभो की खुशी काफूर हो गई। इस फार्मूले में कर्मचारियों को ग्रेड-पे की पात्रता भी नहीं दी गई है। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को लगभग नौ हजार वेतन मिलेगा, जो अभी 11 हजार है। बताया जाता है कि दैवेभो के मामले में ये फार्मूला कैबिनेट की बैठक में पेश किया जा सकता है। 

खीझ निकाल रहे अधिकारी
दैवेभो कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि ऐसा करके शासन में बैठे अधिकारी खीझ निकाल रहे हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन न करने के खिलाफ कर्मचारियों ने अवमानना याचिका लगाई थी। जिसमें अधिकारियों को फटकार लगी थी। नेताओं का कहना है कि कोर्ट के आदेश का पालन कर नहीं पाए थे और 18 मार्च को कोर्ट में 6 विभागों के प्रमुख सचिवों को उपस्थित होना था। इसलिए अधिकारियों ने दैवेभो को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया है। 

फिर कोर्ट जाने की तैयारी 
सरकार के इस निर्णय के खिलाफ दैवेभो कर्मचारी फिर से सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। मप्र कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडेय ने बताया कि हम इस फार्मूले के खिलाफ 27 मार्च को मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। 10 अप्रैल को बड़ी संख्या में दैवेभो भोपाल में प्रदर्शन करेंगे।

वहीं 25 अप्रैल से पहले पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। क्योंकि अफसरशाही जो कर रही है, वह गलत है। इन कर्मचारियों से वाहन चालक, तृतीय और चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों का काम लिया जा रहा है। 10 से 20 साल काम करने के बाद परमानेंट हो रहे हैं, तो भी वेतन उतना ही रहे या उससे कम हो जाए, तो ऐसा नियमितीकरण किस काम का है।

इन विभागों में दिया जाना है नियमित वेतनमान
पीएचई ने कार्यभारित के रूप में दैवेभो को नियमित वेतनमान दे दिया है। कर्मचारी इसी फार्मूले की मांग कर रहे हैं। विभाग ने जिस पद पर कर्मचारी कार्यरत था, उसी का वेतनमान दिया है। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी, वन विभाग, आवास पर्यावरण विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, उद्यानिकी विभाग, मंडी बोर्ड, एनवीडीए, स्वास्थ्य विभाग और पंचायत विभाग में दैवेभो को नियमित वेतनमान दिया जाना है।

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