भोपाल। व्यापमं घोटाले से जुड़ी दो दर्जन संदिग्ध मौतों की छानबीन में जुटी सीबीआई ने आठ महीने बाद चार प्रकरण बंद करने का निर्णय कर लिया है। इन चारों मौतों के रहस्य सीबीआई पता नहीं कर पाई। बस इतना कहा जा रहा है कि इन मौतों का व्यापमं से कोई कनेक्शन नहीं है।
इनमें से तीन की फांसी लगाने और एक की डूबने से मौत हुई थी। सीबीआई की छानबीन में हत्या की कोई साजिश नहीं मिली। सीबीआई छानबीन में ये बात सामने आई कि व्यापमं के घोटालेबाजों ने रैकेटियर के रूप ऐसे लोगों पर आरोप लगा दिए जो जीवित नहीं थे। सीबीआई अब अपनी स्टेटस रिपोर्ट के जरिए सुप्रीम कोर्ट को औपचारिक रूप से यह सूचना देने की तैयारी में है।
जुलाई 2015 में सीबीआई ने व्यापमं से जुड़ी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई 24 लोगों की मौत में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर पड़ताल शुरू की थी। सीबीआई सूत्रों का कहना है दो दर्जन मामलों में से चार में क्लोजर रिपोर्ट लगाई जाएगी। सीबीआई के जांच दलों ने मध्यप्रदेश के साथ कई राज्यों के शहरों में जाकर हत्या एवं साजिश के सुबूत तलाशे, लेकिन ऐसा ठोस साक्ष्य नहीं मिला, जिससे साबित हो कि मौतों की वजह व्यापमं घोटाला रहा।
इनमें लगेगी क्लोजर रिपोर्ट
महेंद्र सिकरवार, रैकेटियर: गोला का मंदिर (ग्वालियर) निवासी महेंद्र सिंह सिकरवार की 21 जनवरी 2014 को फांसी लगाने से मौत हुई थी।व्यापमं के आरोपियों ने उसे रैकेटियर बताया था। केस नंबर 5/14 के तहत दर्ज इस मामले में सीबीआई ने परिजन के अलावा 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। टेलीफोन एवं मोबाइल फोन के सैकड़ों नंबरों की छानबीन की। महेंद्र से संबंधित हर डिटेल की पड़ताल के बाद अंततः हत्या अथवा आपराधिक साजिश जैसा कोई साक्ष्य नहीं मिला।
जितेन्द्र यादव: दूसरा प्रकरण ओरछा (टीकमगढ़) के जितेंद्र यादव का है। जितेन्द्र की मौत 18 जून 2007 को डूबने से हुई थी। सीबीआई ने इसे भी संदिग्ध मानकर जांच दल गठित किया। आठ महीने लगातार छानबीन के बाद 23/07 नंबर की इस केस फाइल को बंद करने के निष्कर्ष पर पहुंची है। जितेंद्र की मौत के 7 साल बाद 18 जून 14 को उसका नाम व्यापमं घोटाले में रैकेटियर के रूप में जोड़ा गया था।
राहुल सोलंकी: कोहेफिजा (भोपाल) निवासी राहुल सोलंकी की मौत भी फांसी लगाने से हुई थी। 20 दिसंबर 2012 को उसकी मौत हुई, लेकिन तीन साल बाद फरवरी 2015 में उसका नाम व्यापमं के रैकेटियर के रूप में दर्ज किया गया। जांच एजेंसी ने पड़ताल में पाया कि उसकी मौत का संबंध भी इस घोटाले से नहीं जुड़ रहा, इसलिए सीबीआई अफसरों ने 110/12 नंबर की केस फाइल में खात्मा लगाने की अनुशंसा कर दी है।
रिंकू शर्मा: चौथा प्रकरण सीपरी (झांसी) निवासी युवक रिंकू उर्फ प्रमोद शर्मा का है। उसने 21 अप्रैल 2013 को घर में शराब पीकर फांसी लगा ली थी, लेकिन सवा साल बाद 11 जुलाई 2014 को उसका नाम व्यापमं के रैकेटियर के रूप ले लिया गया। व्यापमं के घोटालेबाजों ने भी पूछताछ के दौरान उसका नाम भी रैकेटियर के रूप ले लिया था। रिंकू के मामले में केस नंबर 379/13 की फाइल में खात्मे की रिपोर्ट नत्थी कर दी गई।
पत्रकार अक्षय सिंह: टीवी टुडे दिल्ली के पत्रकार अक्षय सिंह की मेघनगर में 4 जुलाई 15 को संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद व्यापमं मामला देश भर की मीडिया की सुर्खियां बना था। व्यापमं मामले को कवर करने अक्षय झाबुआ आए थे। उनकी संदिग्ध मौत के पांच दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंप दी। अक्षय की मौत के मामले में भी जांच एजेंसी को कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिससे हत्या की साजिश साबित हो। 'विसरा' जांच की रिपोर्ट में भी जहर की पुष्टि नहीं हुई। इस मामले में अभी सीबीआई ने अंतिम रिपोर्ट तैयार नहीं की है। आरोप है कि अक्षय सिंह की मौत ऐसे तेज जहर से हुई है जिसे सामान्य जांच रिपोर्ट में पहचाना नहीं जा सकता। यह जहर बहुत महंगा आता है परंतु व्यापमं आरोपियों के लिए यह महंगा नहीं था।