देश की शान में शहीद होना चाहते थे SDOP पाठक

Bhopal Samachar
ग्वालियर। कभी मुझे मौत आए तो बदमाशों से लड़ते हुए आए। मेरी मौत पूरे पुलिस फोर्स को गर्व हो, जिससे मैं हमेशा उनके दिल में जिंदा रहूं। स्वभाव से सरल और अपने बुलंद इरादों के लिए पहचाने जाने वाले एसडीओपी राजेन्द्र पाठक अपने दोस्तों से अक्सर यह बात कहते थे। हालांकि यह कोई नहीं जानता था कि वह जैसा कहते थे, एक दिन उसी तरह उनका साथ छोड़कर चले जाएंगे। 

शुक्रवार को सीएम ड्यूटी से लौटते समय हुए सड़क हादसे में अपनी जान गंवाने वाले एसडीओपी राजेन्द्र पाठक का शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम संस्कार किया गया। अपने साथी की इस तरह मौत से पूरा पुलिस महकमा सदमे में है।

एसडीओपी राजेन्द्र पाठक की पार्थिव देह रात 1 बजे ही ग्वालियर आ गई थी, लेकिन घर पर न लाते हुए पार्थिव देह को झांसी रोड में एक रिश्तेदार के घर रखवाया गया। घर की स्थिति को देखते हुए ही रात को पार्थिव देह नहीं लाई गई थी। शनिवार की सुबह पुलिस के वाहन में उनके शव को घर लाया गया। यहां पार्थिव देह को तिरंगे में लपेटकर पूरे विधि-विधान से मुरार मुक्तिधाम ले जाया गया। 

अंतिम यात्रा शुरू करने से पहले पुलिस जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद पार्थिव देह को लेकर मुक्तिधाम पहुंचे। मुक्तिधाम पर केन्द्रीय इस्पात मंत्री नरेन्द्र सिंह, आईजी ग्वालियर आदर्श कटियार, एएसपी कुमार प्रतीक कुमार, योगेश्वर शर्मा, आरआई मनोज वर्मा, सीएसपी दीपक भार्गव टीआई एमएम मालवीय ने पुष्पचक्र चढ़ाकर उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित की। इसके बाद मुक्तिधाम में सशस्त्र सलामी दी गई और उनके बेटे सोनू उर्फ रूद्र ने मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई दी।

गैलेंट्री अवार्ड ले चुके हैं राजेन्द्र पाठक
अपने काम के लिए पहचान रखने वाले राजेन्द्र पाठक को वर्ष 2012 में राष्ट्रपति से गैलेंट्री अवार्ड मिला था। उन्होंने मुरैना में पदस्थ रहते हुए ट्रिपल मर्डर का खुलासा व राजेन्द्र सिंह को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस पर उन्हें सम्मानित किया गया था। गैलेंट्री आवार्ड होल्डर होने के कारण ही उनकी पार्थिव देह को तिरंगे में रखा गया था।

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