उज्जैन। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था, अधिकारियों के मूलभूत दायित्वों सहित बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर आपातकालीन बैठक सोमवार की देर रात 11.30 बजे संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव श्री मलय श्रीवास्तव ने की। बैठक में निर्धारित हुआ कि मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को लेकर योजना अनुरूप कार्य नहीं हुआ।
अब इस ओर 3500 हाऊस किपिंग कर्मचारी शौचालय उपयोग करने वाले अगले व्यक्ति के उपयोग के लिए शौचालय पूरी तरह तैयार करेंगे। इसके अलावा 5 हजार कर्मचारियों का सेक्टर में भरपूर उपयोग किया जाएगा। इनमें भाग-1 कालभैरव व मंगलनाथ झोन में 2 हजार और 3 हजार कर्मचारी भाग-2 दत्त अखाड़ा व महाकाल झोन में पदस्थ किये गये हैं। इनकी उपस्थिति शौचालय के संभावित उपयोग के समय सुबह 6.30 बजे और शाम 7.30 बजे उपस्थिति बायोमेट्रिक के द्वारा अनिवार्य किया गया है। बैठक में संभागायुक्त डॉ. रविन्द्र पस्तोर, कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत, मेला अधिकारी श्री अविनाश लवानिया और मेला क्षेत्र के समस्त झोनल अधिकारी व सेक्टर अधिकारी उपस्थित रहे।
भोपाल नगर निगम के 2 अपर आयुक्त कर रहें हैं मॉनीटरिंग
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में व्यवस्थाओं को दुरूस्त और समस्याओं का आकलन करने के लिये भोपाल नगर निगम के दो अपर आयुक्त श्री चंद्रमौली शुक्ला और संजय कुमार सिंह को पदस्थ किया गया है। दोनों अधिकारियों को सौपे गये दायित्व की समीक्षा रिपोर्ट आयोजित बैठक में रखी। अपर आयुक्त श्री संजय शुक्ला को पूरे मेला क्षेत्र सीवरेज व सेप्टिक तथा चंद्रमौली शुक्ला को पूरे मेला क्षेत्र में साफ-सफाई का दायित्व सौंपा गया। दोनों ही अधिकारियों ने मेला क्षेत्र में हुई समस्याओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की। श्री संजय कुमार ने रिपोर्ट में विभिन्न बिन्दुओं की महत्वपूर्ण जानकारी उपस्थित अधिकारियों को दी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब इनके समीक्षा करने का समय नहीं हैं, जरूरत है कि संबंधित इंजिनियर को दुरूस्त करने की जिम्मेदारी सौंपी जाये। अधिकारी और कर्मचारी दायित्व की रिपोर्ट लिखकर समस्या समाधान पंजी में अंकित करें। अधिकारी और कर्मचारी अपनी शिफ्ट में यह भी तय करें कि उनके समय में क्या-क्या कार्य किये।
अब विधिवत तरीके से कार्य करने पर जोर
बैठक में निर्धारित किया गया है कि नगर निगम द्वारा शौचालय निर्माण के लिये दिये गये टेंडर के अनुरूप शौचालय निर्माण का सत्यापन पत्रक तैयार कर प्लॉट दर पलॉट सत्यापन किया जाये। जिन एजेंसीयों को जितने शौचालय बनाने का टेंडर दिया गया सत्यापन के उपरान्त निर्माण एजेंसी को एक-एक सेक्टर इंचार्ज देकर निर्माण करायें।