नई दिल्ली। मनमुताबिक खबरें छापने से इंकार करने वाले 2 पत्रकारों को मोदी की महिला मंत्री मेनका गांधी ब्लैकलिस्टेड कराना चाहतीं थीं। इसके लिए उन्होंने कार्रवाई भी की परंतु शायद वो भूल गईं थीं कि भारत में सिर्फ सरकार बदली है, लोकतंत्र अब भी कायम है।
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए मेनका गांधी ने दो रिपोर्टरों को ही ब्लैकलिस्ट करने की मांग कर डाली। दरअसल, एजेंसी के रिपोर्टर ने कुपोषण के मद में खर्च किए जाने वाले बजट में कटौती पर खबर प्रकाशित की थी। रायटर्स ने मेनका गांधी के हवाले से लिखा था- यह पीएम मोदी की नीतियों की दुर्लभ सार्वजनिक अलोचना थी।
रायटर्स ने 19 अक्टूबर, 2015 की एक रिपोर्ट को वापस लेने या उसमें कोई भी बदलाव करने से इनकार कर दिया था। इससे खफा होकर मेनका गांधी ने रायटर्स के दो रिपोर्टेरों आदित्य कालरा और एंड्रयू मैकआस्किल को सरकार द्वारा दी गई मान्यता वापस लेने की सरकार से मांग की थी।
हालांकि, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने उनकी मांग मानने से मना करा दिया। मेनका ने उस खबर में बजट कटौती की आलोचना करते हुए कहा था कि जो पैसा मिल रहा है उससे केवल 2.7 मिलियन हेल्थ वर्कर्स को जनवरी महीने की तनख्वाह भर दी जा सकती है। मंत्रालय की योजनाओं को कटौती के फैसले से तगड़ा झटका लगा है।