भोपाल। आप एक राशनकार्ड भी बनवाए जाओ तो इतने नियम सामने आ जाते हैं कि पसीना निकल जाए लेकिन मंत्रियों के निजी कर्मचारियों पर सरकार ने नियम विरुद्ध 500 करोड़ लुटा दिए गए। यह सबकुछ 30 साल से चल रहा है। किसी ने नियम की किताब पलटकर ही नहीं देखी।
अखिल भारतीय सेवा के अफसर हों या राज्य संवर्ग के अधिकारी कर्मचारी सभी के बारे में सरकार के नियम स्पष्ट हैं कि दो साल की परिवीक्षाधीन अवधि पूरी होने के बाद ही शासकीय सेवकों को वेतन वृद्धि, वेतन पुनरीक्षण, यात्रा भत्ता और चिकित्सा भत्ता का लाभ दिया जाएगा। दो साल की परिवीक्षाधीन अवधि में कर्मचारियों को फिक्स पे पर महंगाई भत्ता ही देय होगा।
मुख्यमंत्री की निजी स्थापना में रखे जाने वाले 14 कर्मचारी और मंत्रियों की निजी पदस्थापना में मनमर्जी से रखे जाने वाले सात कर्मचारियों को नियुक्ति दिनांक से ही इंक्रीमेंट, टीए और मेडिकल एलाउंस का लाभ दिया जा रहा है। इसमें खास यह है कि मंत्रालय की अधीक्षण शाखा ने सूचना के अधिकार में दी जानकारी में इस बात को स्वीकार किया है कि मंत्रियों की निजी स्थापना से संबंधित कोई संवर्ग ही नहीं है, तो उन्हें किसी भी तरह के लाभ दिए जाने के नियम नहीं है।
सामान्य प्रशासन विभाग में अपर सचिव सीबी पड़वार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में साफ है कि मंत्री स्थापना में नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों और उनको दिए जा रहे लाभ सरकार के बगैर किसी आदेश के दिए जा रहे हैं। इस संबंध में अभी तक तो कोई नियम सामने नहीं आए हैं।
जीएडी ने हाल ही में मुख्यमंत्री स्थापना में 16 कर्मचारियों और हर मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री की निजी स्थापना में पदस्थ 7 कर्मचारियों के लिए 4440-7440 का वेतनमान स्वीकृत करते हुए उन्हें टीए, मेडिकल अलाउंस का लाभ भी स्वीकृत कर दिया है। वहीं, जीएडी की अधीक्षण शाखा की भी सूचना के अधिकारी में दी गई जानकारी के अनुसार उक्त कर्मचारियों को लाभ दिए जाने के कोई नियम ही नहीं है। इस तरह नियुक्त किए गए कर्मचारियों के लिए कोई संवर्ग गठित नहीं है। साथ ही मंत्री स्थापना में इच्छानुसार नियुक्त किए गए कर्मचारियों की कोई शासकीय सेवा भी गठित नहीं की गई है।