शिवराज की दलित एक्सप्रेस में चेन पुलिंग, 60 हजार प्रमोशन खतरे में

उपदेश अवस्थी/भोपाल। मप्र में इन दिनों चल रही सीएम शिवराज सिंह की दलित एक्सप्रेस में चेन पुलिंग हो गई है। मप्र के 60 हजार दलित अधिकारी/कर्मचारियों के प्रमोशन खतरे में पड़ गए हैं। पिछले दिनों सीएम ने आरक्षण का लाभ देते हुए इन्हे प्रमोशन दिया था परंतु हाईकोर्ट ने इन्हे अवैध करार दे दिया है। इससे 2002 से अब तक राज्य के 56 विभागों में हुए 60 हजार से ज्यादा प्रमोशंस रद्द हो जाएंगे। विभागों को ग्रेडेशन लिस्ट वापस लेनी होगी। उनका डिमोशन हो जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि शिवराज सिंह का चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना ही बिखर जाएगा। 

पहली बार शिवराज सिंह मप्र में संविदा नियुक्ति पर 3 साल के लिए बुलाए गए थे। जनता ने उन्हें वोट नहीं दिया था परंतु आडवाणी की सिफारिश से उन्हें यह कुर्सी मिल गई। 

दूसरी बार उन्हें भाजपा का पारंपरिक व्यापारी एवं मिडिल क्लास का वोट मिला। साथ ही कर्मचारियों एवं गरीब किसानों का वोट जुटाने में शिवराज खुद कामया​ब रहे। 

तीसरी बार कर्मचारियों ने उनका भरपूर समर्थन किया। पारंपरिक वोटबैंक उनके साथ था परंतु नाराज था लेकिन एक रणनीति काम आई। कांग्रेस ने जानबूझकर कमजोर प्रत्याशी मैदान में उतारे। शिवराज ने जमकर घोषणाएं कीं। ऐसी ऐसी घोषणाएं जो कभी पूरी नहीं हो सकतीं थीं, कर डालीं। 

अब शिवराज को पता है कि भाजपा का पारंपरिक वोट भी पूरा नहीं मिलेगा। लोग नाराज हैं। मिडिल क्लास लगातार बढ़ रहे टैक्स से नाराज है तो व्यापारी भी बेरुखी से नाराज हैं। कर्मचारियों को भी समझ आ गया है कि जो कुछ भी शिवराज ने मप्र में दिया वो सब तो दूसरे प्रदेशों में भी कर्मचारियों को मिला। जब पूरे देश में 6वां वेतनमान मिला तो शिवराज ने कौन सा एहसान किया। संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण भी पूरे देश में हो रहा है। मप्र अलबत्ता उनसे पीछे ही है। किसानों से मुआवजे के नाम पर जो मजाक किया गया वो भूल नहीं पाएगे। शिवराज को पता है कि सारा गुस्सा वोटिंग के दिन मशीन पर ही निकलेगा। 

अत: चौथी पारी के लिए उन्होंने दलित वोट पर फोकस किया है। यदि भाजपा के परमानेंट वोटबैंक का 30 प्रतिशत और मप्र के दलित वोटों का 40 प्रतिशत भी मिल जाए तो चौथी बार फिर शिवराज आ जाएंगे। इसलिए इन दिनों वो सबकुछ छोड़कर दलित चालीसा पढ़ रहे हैं। हर कार्यक्रम में उन्हें बाबा अंबेडकर याद आते हैं। यहां तक कि सिंहस्थ में भी शिवराज की दलित एक्सप्रेस चालू है, लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश ने सारे सपने ही तोड़ डाले। 

यदि मप्र के ये 60 हजार प्रमोशन रद्द हो गए तो शिवराज का सारा प्लान धरा का धरा रह जाएगा। जिस हाईकोर्ट पर शिवराज सिंह को व्यापमं घोटाले के वक्त पूरा भरोसा था अब उसी हाईकोर्ट का फैसला उन्हें अनुचित प्रतीत हो रहा है। सरकार ने तय किया है कि वो हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। देखते हैं सुप्रीम कोर्ट से शिवराज की दलित एक्सप्रेस को कोई राहत मिल पाती है या नहीं। 
लेखक मप्र के युवा पत्रकार एवं भोपाल समाचार के संपादक है। 
संपर्क: 9425137664

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