प्रमोद त्रिवेदी/इंदौर। किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों के साथ धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है। राष्ट्रीयकृत इलाहाबाद बैंक ने देशभर के छह लाख किसानों को स्वास्थ्य बीमा के नाम पर अरबों रुपए की चपत लगा दी। अह्म बात यह है कि किसानों को इस धोखाधड़ी का पता नहीं है। बैंक वर्ष 2008 से अपने केसीसी धारकों के खाते से उन्हें बगैर जानकारी दिए लगातार बीमा राशि काटकर बीमा कंपनी को दे रहा है। बीमा की पॉलिसी भी बैंक खुद ही अपने पास रख रहा है। नियम विरुद्घ इस भारी धोखाधड़ी को बैंक और बीमा कंपनी मिलकर अंजाम दे रहे हैं। नवदुनिया ने इस पूरे घोटाले की तह तक जाकर तमाम तथ्य जुटाए तो मामला देशभर का निकला और जिसकी राशि करीब 18 अरब 90 करोड़ के आसपास निकलती है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की सभी बैंकों को केसीसी खातों का बीमा कराने के निर्देश दे रखे हैं। बीमा किस कंपनी से करवाना है यह बैंकों पर निर्भर है। बीमा इसलिए करवाया जाता है ताकि बैंक की लोन राशि सुरक्षित रहे और खाता धारक की मौत या अन्य किसी स्थिति में लोन की भरपाई बीमा राशि के जरिए हो सके। इलाहाबाद बैंक ने यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी प्रालि से वर्ष 2008 में अपने खाता धारकों के लिए बीमा अनुबंध किया और सिर्फ केसीसी खाताधारकों का स्वास्थ्य बीमा कराया। बैंक की देश भर की शाखाओं में करीब 6 लाख केसीसी खाते हैं। यह अनुबंध लोन राशि के बीमा का था, लेकिन बैंक और बीमा कंपनी ने नियमों के विपरीत जाकर खाता धारकों का स्वास्थ्य बीमा कर दिया।
खातों से बीमा राशि खाताधारक किसानों को बगैर बताए पिछले आठ साल से लगातार काटी जा रही है और बीमा कंपनी के बैंक की कोलकाता शाखा के खाता 50006087382 में जमा भी की जा रही है। इस बीमे के लिए किसानों से न फॉर्म भरवाया गया, न अनुमति ली गई, न उनके फोटो लगाए गए। यहां तक कि फॉर्मों पर जन्म तारीख, पते आदि जैसी बुनियादी जानकारियां भी फर्जी भर दी गईं। नामिनी बैंक को बनाकर पॉलिसी भी बैंक की शाखाओं को दे दी गईं। यह पूरा मामला साजिश की तरह है जिसकी संबंधित किसानों को आठ सालों में भनक तक नहीं लगी और न ही एक भी किसान को बीमा राशि नहीं मिली।
फसल के अलावा अन्य बीमा नहीं हो सकता
किसान को बगैर अनुमति बैंक फसल बीमा के अलावा अन्य किसी भी बीमा के लिए पैसा नहीं काट सकते। नियमानुसार पॉलिसी पर पता पॉलिसीधारक का ही पता होना चाहिए, न कि बैंक का। बैंक का स्वास्थ्य बीमा से वैसे भी कोई लेना-देना नहीं होता है। आप इस मामले को हमारे संज्ञान में लाए हैं, इसकी उच्च स्तरीय जांच कराएंगे।
हरीश चंद्र सती, डीजीएम, भोपाल-इंदौर जोन इलाहाबाद बैंक