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लोकेन्द्र दुबे ने एमपी हाउसिंग बोर्ड से फ्लैट खरीदा था। उसे अपने फ्लैट की रजिस्ट्री करानी थी। उन्होंने हाउसिंग बोर्ड के बाबू राजा भइया गुर्जर से संपर्क किया, क्योंकि रजिस्ट्री कराने की जिम्मेदारी बाबू को दी गई थी। बाबू ने लोकेन्द्र दुबे से 3 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। उसने बताया था कि 1 हजार रुपए मुझे देने होंगे। 2 हजार रुपए उप पंजीयक अभिषेक चतुर्वेदी को देने पड़ेंगे। इसके बाद लोकेन्द्र दुबे ने पेन में लगे गुप्त कैमरे से बाबू की रिकॉर्डिंग की। इसके बाद बाबू उसे उप पंजीयक अभिषेक चतुर्वेदी के पास ले गया। उप पंजीयक ने इशारे में दो उंगलियां दिखाईं। उसकी भी रिकॉर्डिंग हो गई। इसके बाद वर्ष 2013 में लोकेन्द्र ने लोकायुक्त भोपाल को शिकायत की। लोकायुक्त ने जब इस मामले की जांच की तो पाया कि रिश्वत की मांग की गई है। वीडियो रिकॉर्डिंग में यह साफ दिख रहा है। इस पर भ्रष्टाचार अधिनियम व धारा 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया। अभियोजन अधिकारी अरविंद श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसा पहला मामला है, जिसमें शिकायतकर्ता ने खुद वीडियो बनाकर लोकायुक्त को सौंपा है।