
इससे पहले सरकार ने 8.7 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का फैसला किया था। यह पहला मौका था जब वित्त मंत्रालय ने सीबीटी की सिफारिश नहीं मानी थी और अंशधारकों को देय ब्याज में कमी की थी। सरकार ने इस फैसले को बदलकर (ईपीएफ) जमा पर 8.8 प्रतिशत देने को मंजूरी दे दी है।
हालांकि यह दर पहले 8.88 प्रतिशत थी जिसे सरकार ने 8.7 प्रतिशत किया था बाद में ट्रेड यूनियनों के विरोध को देखते हुए सरकार ने बीच का रास्ता निकालते इस दर को 8.8 प्रतिशत कर दिया है। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में फरवरी, 2016 में 'ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय सीबीटी की बैठक का हवाला देते हुए कहा था कि वर्ष 2015-16 के लिए केंद्रीय भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों के लिए 8.8 प्रतिशत की अंतरिम दर से ब्याज दिए जाने का प्रस्ताव किया था।
हालांकि, वित्त मंत्रालय ने 8.7 प्रतिशत की ब्याज दर मंजूर की है।पीएफओ ने 2013-14 और 2014-15 में 8.75 प्रतिशत का ब्याज दिया था। वर्ष 2012-13 के 8.5 प्रतिशत तथा 2011-12 के 8.25 प्रतिशत ब्याज दिया गया था।