यदि मालेगांव में न फंसती तो मोदी सरकार में मंत्री होतीं प्रज्ञा सिंह

Bhopal Samachar
भोपाल। महाराष्ट्र के मालेगांव में 2006 और 2008 में दो अलग-अलग बम ब्लास्ट हुए थे। पहले मामले में मुंबई की एक कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अब लोगों की निगाहें दूसरे मामले की सुनवाई पर टिकी हुई हैं, जिसमें प्रज्ञा ठाकुर आरोपी हैं। कभी बिंदास जीवन जीने वालीं इस साध्वी की लाइफ बम ब्लास्ट के बाद मानों पूरी तरह से बदल गई। वे कैंसर से जूझ रही हैं। उन पर अपने ही साथी संजय जोशी की हत्या का आरोप भी है। उनको नजदीक से जानने वाले दावा करते हैं कि प्रज्ञा सिंह के भाषणों में अनौखा आकर्षण था। यदि वो मालेगांव केस में ना फंसती तो आज मोदी सरकार में मंत्री होतीं और खूब नाम कमा रहीं होतीं। 

जानें साध्वी प्रज्ञा और सुनील जोशी के संबंधों के बारे में
करीब 14 साल की उम्र में ही प्रज्ञा का झुकाव राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से हो गया था। युवावस्था में इन्होंने संन्यास ले लिया। कहा जाता है कि प्रज्ञा से प्रभावित होकर मध्य प्रदेश भाजपा के एक पूर्व विधायक ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे प्रज्ञा ने ठुकरा दिया था। साध्वी प्रज्ञा भारती का असल नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर है। उनका जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। प्रज्ञा को 2006 में मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट के आरोप में 23 अक्टूबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था।

प्रज्ञा से प्रेम करने लगे थे सुनील जोशी...
साध्वी प्रज्ञा पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक सुनील जोशी की हत्या का भी आरोप है। संघ प्रचारक जोशी की 27 दिसम्बर, 2007 को देवास में हत्या कर दी गई थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में सामने आया है कि सुनील का प्रज्ञा के प्रति आकर्षण ही उनकी हत्या का कारण बना। प्रज्ञा को डर था कि कहीं सुनील मालेगांव ब्लास्ट का राज न खोल दें।

  • पढ़ें प्रज्ञा से जुड़े खास जानकारी...
  • साध्वी पर मालेगांव में हुए धमाकों की साजिश रचने का आरोप है। धमाकों में 7 लोगों की मौत हो गई थी। 
  • प्रज्ञा के पिता सीपी ठाकुर लहार के गल्ला मंडी रोड पर रहते थे और यहां एक क्लीनिक चलाते थे।
  • ठाकुर स्वयं शुरू से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे और प्रज्ञा को भी हिन्दूवादी शिक्षा अपने पिता से ही मिली।
  • महत्वाकांक्षी प्रज्ञा कॉलेज के दिनों में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थीं। 
  • वाकपटुता के बल पर उन्होंने जल्द ही परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाई। उनके क्रांतिकारी भाषण सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे। 
  • पहले लहार फिर भिंड जिले और बाद में उनके भाषणों का प्रभाव भोपाल, देवास, जबलपुर और इंदौर में पड़ा।
  • प्रज्ञा ने परिषद को छोड़कर साध्वी का रूप धारण कर लिया। साध्वी का चोला धारण करने के बाद वे कई संतों के संपर्क में आईं तथा धार्मिक नगरी उज्जैन सहित कई नगरों में प्रवचन भी दिए। 
  • चार बहन और एक भाई के बीच दूसरे नंबर की संतान प्रज्ञा ने धीरे-धीरे सूरत को अपनी कार्यस्थली बना लिया। 
  • आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर उन्होंने सूरत में न केवल एक आश्रम बनाया, बल्कि अपने सभी परिजनों को वहीं बुला लिया।
  • प्रज्ञा के समर्थक उनका नाम आतंकवादी महिला के रूप में उछाले जाने को पूरी तरह गलत मानते हैं।

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