
पहले एनआईटी का विवाद छाया रहा और अब हंदवाड़ा में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में चार व्यक्तियों की मौत के बाद पूरी घाटी में तनाव है। एनआईटी के विवाद ने घाटी और जम्मू के बीच की मानसिक खाई को और बढ़ाया ही है। इसी तरह हंदवाड़ा की घटनाओं से केंद्र के प्रति लोगों का असंतोष कम होने के बजाय और बढ़ा है। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और इसकी जवाबदेही से न राज्य सरकार पल्ला झाड़ सकती है, न केंद्र यह बहाना कर सकता है कि कानून-व्यवस्था राज्य का मामला है इसलिए उसकी कोई जिम्मेवारी नहीं बनती। आखिर चारों व्यक्ति सेना की गोलीबारी में मारे गए हैं। यह सही है कि ये मौतें उग्र भीड़ को तितर-बितर करने की कार्रवाई के दौरान हुर्इं, पर ऐसा लगता है कि जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया गया। खुद उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने हंदवाड़ा की घटना को बहुत अफसोसनाक करार दिया है।
दूसरी तरफ राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को यह जरूरी लगा कि वे रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर से मिल कर गोलीबारी पर अपना विरोध जताएं। महबूबा के मुताबिक पर्रीकर ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि जांच जल्द की जाएगी और दोषियों को दंडित किया जाएगा। घटनाक्रम की शुरुआत एक सैनिक पर एक लड़की से छेड़छाड़ के आरोप से हुई। इस कथित घटना के विरोध में बहुत-से लोग सड़कों पर उतर आए और भीड़ ने हिंसक रुख भी अख्तियार कर लिया। अब सेना ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें कथित पीड़ित लड़की ने बताया है कि जवानों ने उसके साथ छेड़छाड़ नहीं की थी, बल्कि इसकी साजिश दो स्थानीय युवकों ने रची थी। सेना का कहना है कि छेड़छाड़ का आरोप सेना की छवि खराब करने के इरादे से लगाया गया है। पीड़ित लड़की की पहचान उजागर करने पर कई मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं, सबसे ज्यादा जरूरी है यह मालूम करना की क्या घाटी का अमन-चैन बिगाड़ने के इरादे से कोई षड्यंत्र रचा गया था? और इसके जिम्मेदार कौन है ?
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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