
प्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पार्टी की दशा पराजित कांग्रेस, बसपा, सपा तो छोडें आप और शिवसेना से अलग नहीं है। सबसे अधिक सक्रिय दिखने वाली भाजपा के कार्यकर्ता अब पार्टी कार्यक्रमों और योजनाओं से बेजार-मायूस होकर घर बैठने का मन बना चुके हैं। उनके मन में कसक यह है कि सत्ता और संगठन के शीर्ष पर बैठे नेताओं और उनके चापलूसों को छोड दें तो स्वाभिमानी कार्यकर्ता की हर जगह इस कदर उपेक्षा हो रही है, मानो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हो। जिले के तमाम नगरपालिका, नगर पंचायतों में एल्डर मैन,महाविद्यालयों की जनभागीदारी समिति के अध्यक्षों, अमरकंटक विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर अभी तक कोई नियुक्ति तक नहीं की गई है। विभिन्न संस्थानों में विधायक और सांसद प्रतिनिधि तक नियुक्त नहीं किये गये हैं। कहीं न कहीं यह नीचे से ऊपर तक चल रही खींच-तान का नतीजा माना जा रहा है। दबी जुबान कार्यकर्ता गली-चौराहे पर यह टिप्पणी करते देखा जा रहा है कि जिले की व्यवस्था पर सत्ता और संगठन का कोई नियंत्रण नहीं है।
निराश कार्यकर्ता
प्रदेश की राजनीति में कार्यकर्ताओं के बूते लगातार तीसरी बार और केंद्र की राजनीति में प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में आने के बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी में पूछ परख घटी है। जिला पंचायत चुनाव में जिस तरह से अनुकूल माहौल होने के बावजूद भाजपा समर्थित उपाध्यक्ष न बनने से भी कार्यकर्ता हतप्रभ हैं और इसे गुटीय राजनीति का परिणाम माना जा रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं की सत्ता और संगठन दोनों जगह हो रही उपेक्षा से भी उनका मनोबल गिर रहा है।
माफियाओ हाथों में सिमटी भाजपा
जिसे कभी कांग्रेस की छूतिया बीमारी कहा जाता था, उस बीमारी का शिकार भाजपा होकर रह गई है। चंद पुराने घिसे-पिटे भ्रष्ट चेहरों, जिनपर लगभग प्रत्येक चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं या पार्टी समर्थित प्रत्याशियों को योजनाबद्ध तरीके से पराजितक करने का षडयंत्र करने के पुष्ट आरोप प्रत्याशियों द्वारा लगाये जाते रहे हैं, प्रदेश संगठन द्वारा ऐसे लोगों के विरूद्ध कोई कार्यवाही न कर लगभग सभी अभियानों, कार्यक्रमों का दायित्व सौंपकर जो संदेश दिया जा रहा है उससे ईमानदार, कर्मठ कार्यकर्ता निराश है।
एल्डर मैनों की नियुक्ति अधर में
अमरकंटक, जैतहरी नगर पंचायत, अनूपपुर, कोतमा, पसान, बिजुरी नगर पालिका में कई वर्षों से एल्डर मैन की नियुक्ति तक नहीं की जा सकी है। लगभग यही दशा अनूपपुर, जैतहरी, पुष्पराजगढ़, कोतमा, बिजुरी के शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष की है। इन पदों को लेकर पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं के मन में महत्वाकांक्षाएं हैं। इन पदों पर नियुक्ति कर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाया जा सकता था लेकिन दुर्भाग्यवश अभी तक कोई नियुक्ति तक नहीं की गई है।
प्राधिकरण को अब तक नही मिला अध्यक्ष
अमरकंटक विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर पार्टी को योग्य कार्यकर्ता न मिल पाने के कारण कलेक्टर को प्राधिकरण का अध्यक्ष गठन के बाद से निरंतर बनाया गया है। दो पूर्व विधायकों सुदामा सिंह सिंग्राम, दिलीप जायसवाल, कई पूर्व जिलाध्यक्षों के साथ अमरकंटक के कुछ सक्रिय पदाधिकारियों की स्वाभाविक दावेदारी इस पद पर होने के बावजूद आपसी खींच-तान के चलते किसी राजनैतिक/सामाजिक व्यक्ति की नियुक्ति अध्यक्ष पद पर नहीं की जा सकी है।
जिलाध्यक्ष की घोषणा खटाई में
प्रदेश के तमाम जिलों में नये जिलाध्यक्षों और मण्डल अध्यक्षों का निर्वाचन संपन्न हो गया है। प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर नये अध्यक्षों की घोषणा की जा चुकी है। इसके बावजूद प्रदेश के १० अन्य जिलों की भांति अभी तक पार्टी के नए जिलाध्यक्ष एवं मण्डल अध्यक्षों की घोषणा तक नहीं की गई। जिसे लेकर पार्टी में व्यापक उत्सुकता बनी हुई है।
मोर्चों पर दिख रही शिथिलता
पार्टी के तमाम मोर्चों पर भी संगठनात्मक एवं क्रियात्मक शिथिलता दिख रही है। लोग भावी जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर प्रतीक्षारत हैं तो दूसरी ओर मण्डल अध्यक्षों में भी अपने कार्यकाल को लेकर दुविधा का माहौल है। कुल मिलाकर माफियाओ के हाथो में खेल रही भा.ज.पा.के कार्यकर्ता निराश है।