लखनऊ। छह साल की मासूम से दुराचार और जघन्य तरीके से उसकी हत्या करने वाले दरिंदे की फांसी पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भी मुहर लगा दी है। अदालत ने निर्णय सुनाते हुए कड़ी टिप्पणी की और कहा, अभियुक्त ने अपनी अप्राकृतिक यौन इच्छा संतुष्ट करने के लिए एक छह साल की बच्ची की निर्ममता से हत्या कर दी।
यह दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध है। अभियुक्त भले ही युवा है लेकिन उसने इस समाज में जिंदा रहने का अधिकार खो दिया है। उसके लिए केवल मौत की सजा ही एक सजा हो सकती है।
घटनाक्रम के मुताबिक, आठ मार्च 2012 को श्रावस्ती के इकौना के एक गांव में होली के दिन युवक छोटकऊ ने गांव की ही एक मासूम को टॉफी देने के बहाने गांव के बाहर गन्ने के खेत में ले जाकर दुराचार किया था।
इसके बाद बच्ची के सलवार से उसका गला घोटकर हत्या कर दिया। आक्रोशित ग्रामीण जब उसे पकड़ने के लिए उसे घर पहुंचे तो वह अपने मड़हे मे आग लगा कर परिवार समेत फरार हो गया।
सेशन कोर्ट ने उसे दुराचार और हत्या का दोषी माना। 29 मार्च 2014 को हत्या के लिए फांसी और 50 हजार रुपये जुर्माना जबकि दुराचार के लिए उम्र कैद व 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। छोटकऊ ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे जस्टिस सुरेंद्र विक्रम सिंह राठौड़ और जस्टिस प्रत्युश कुमार की खंडपीठ ने मंगलवार को खारिज कर दिया।