
करीब दो महीने पहले जिला कोर्ट ने नगर निगम की अपील खारिज करते हुए निगम द्वारा रोके गए पांच करोड़ रुपए का भुगतान कंपनियों को देने का आदेश दिया था। ब्याज सहित यह रकम लगभग 11 करोड़ रुपए होती है। आठ महीने पहले पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने इस मामले में लोकायुक्त में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि निगम के अधिकारियों की वजह से शासन को 6 करोड़ की चपत लगी है। इनके खिलाफ केस दर्ज किया जाए। लोकायुक्त ने इस आवेदन पर जब कार्रवाई नहीं की तो कौशल ने वकील डॉ. मनोहरलाल दलाल के माध्यम से नोटिस भेजा। इसके बाद भी जब कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।