बालाघाट मुठभेड़: प्रशासनिक लापरवाही ने बुलाया, पुलिस ने खदेड़ा

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। बैहर अनुविभाग की पाथरी पुलिस चौकी में कल चुक्काटोला की पहाडी और घंने जंगल में हुई मुठभेड में पुलिस और नक्सलियों का 2 बार आमना सामना हुआ दोनों बार गोलियां चलीं। पुलिस पार्टी पर हमला करने वाले नक्सलियों की संख्या 30 के आसपास थी। पुलिस ने 150 राउंड फायर किया परंतु उसे कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी। बस नक्सलियों की छोडी गई दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद हो पाई। अलबत्ता पुलिस इलाके से नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाब रही। देर रात तक पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी एंव पुलिस महानिरीक्षक श्री डीसी सागर के नेतृत्व में अलग अलग टीमें जंगल में फरार नक्सलियों की सरगर्मी से नक्सलियों की तलाश करती रहीं। 

पुलिस निरीक्षक डीसी सागर ने अवगत कराया की ग्रामीणों के साथ मनरेगा के लम्बित भुगतान को लेकर नक्सली उन्हें बरगलाना चाहते हैं लेकिन पुलिस उनके मंसूबों को कामयाब होने नही देगी। श्री सागर ने बताया की पुलिस ने नक्सलियोें पर 125 राउण्ड फायर किये गये वहीं नक्सलियों की ओर से किया गया यह प्राणघातक हमला था जिसमें कुछ जवान बाल बाल बच गये। घटनास्थल बैहर अनुविभाग से लगभग 35 किलोमीटर दूर घंने जंगलों के बीच स्थित है।

मामला क्या है
पिछले दिनों नक्सलियों ने ग्राम पंचायत नव्ही की सरपंच मायासिंग के पति कुवरसिंह धुर्वे को रास्ते में रोककर धमकी दी थी कि 2011 से मनरेगा मजदूरों का भुगतान लंबित है। यदि शीघ्र यह भुगतान नहीं कराया गया तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। इसके अलावा नक्सलियों ने तेंदुपत्ता एवं खदान मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की मांग भी की थी। इस सूचना के हेडक्वार्टर पर पहुंचने के बाद तत्काल पुलिस एक्शन में आई और नक्सलियों को घेर लिया, लेकिन शायद नक्सलियों की संख्या पुलिस के अनुमान से ज्यादा निकली। 2 बार मुठभेड़ के बाद भी कोई नक्सली जिंदा या मुर्दा हाथ नहीं लगा। इधर कलेक्टर श्री भरत यादव का कहना है कि शीघ्र ही मनरेगा का रुका हुआ भुगतान कराया जाएगा। सवाल सिर्फ यह है कि प्रशासन इस तरह की चूक करता ही क्यों है कि नक्सलियों को ग्रामीणों की हमदर्दी जीतने का मौका मिले। 

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