उज्जैन। महाकुंभ में इस बार मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान करना एक नया अनुभव होगा। चमचमाते रंगीन घाट और फव्वारों से शिप्रा नदी का वैभव अलग ही नजर आ रहा है। दुनियाभर से आ रहे लोगों के लिए शिप्रा नदी आकर्षण का केंद्र बन गई है। शिप्रा के तट पर साधु-संतों का अद्भुत समागम होगा और भक्तों का मेला लगेगा। इसके मद्देनजर करीब 57 करोड़ स्र्पए खर्च कर सरकार ने नए घाट बनवाए और पुराने घाटों का जीर्णोद्धार भी कराया। दत्त अखाड़ा पर भी इस बार लाल पत्थर लगाए गए हैं।
शिप्रा के घाटों के सौंदर्यीकरण पर पहले कभी इतना पैसा खर्च नहीं हुआ। यूडीए ने 8 किलोमीटर लंबाई के घाटों पर गेरुआ व हल्का गुलाबी कलर कर इसे आकर्षक रूप दिया है। घाटों की दीवारों पर मनोहारी चित्रकारी भी की गई है। सिंहस्थ के दौरान स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के लिए घाटों पर करीब 100 चेंजिंग रूम बनाए गए हैं। शिप्रा नदी में 56 फव्वारे भी लगाए गए हैं।
76 मीटर का सुंदर घाट
मंगलनाथ मंदिर के पास 76 मीटर का सुंदर घाट बनाया गया है। इसे भी खास तौर से लाल पत्थरों से बनाया गया है। इस पर करीब 1.22 करोड़ स्र्पए खर्च किए गए हैं। श्रद्धालु नदी में न गिरे, इसके लिए यहां रैलिंग भी लगाई गई है। हालांकि घाट बनाने का काम जल संसाधन विभाग का है, लेकिन इसे लोक निर्माण विभाग ने तैयार कराया है।