भोपाल। मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री व अन्य वीआईपी के लिए जो हेलीकॉप्टर खरीदा, उसकी प्रक्रिया पर कैग ने आपत्ति दर्ज की है। कैग के अनुसार हेलीकॉप्टर की खरीदारी में क्रय समिति ने कई ऐसे फैसले लिए जो तर्कसंगत नहीं थे। नतीजा ये रहा कि हेलीकॉप्टर के लिए 83 लाख रुपए ज्यादा पर आर्डर दिया गया। पब्लिक के पैसे की लुटाई देखिए, सरकार ने डील यूरो में की थी और पेमेंट लेट किया। इससे यूरो की कीमत बढ़ गई और 60.42 करोड़ के बदले 65.63 करोड़ का पेमेंट करना पड़ा।
जब कैग ने खरीदी प्रक्रिया की जांच के बाद शासन से सवाल किया तो बताया गया कि ये क्रय समिति तय करती है कि कौन सा हेलीकॉप्टर किस मूल्य पर लिया जाए। इस जवाब को कैग ने गलत बताते हुए कहा कि मापदंडाें पर कार्य ना करने के कारण कंपनी को लाभ हुआ और सरकार को नकुसान।
अधिक मूल्य लगाने वाली कंपनी से हुई खरीदारी
रिपोर्ट के अनुसार खरीदारी के लिए पांच कंपनियों ने टेंडर भरे थे। मानकों पर खरा न उतरने पर तीन को बाहर कर दिया गया। यूएसए की सिकोरस्की कंपनी ने सबसे कम 59.59 करोड़ में हेलीकॉप्टर (ईसी 155 बी) और फ्रांस की यूरोकॉप्टर ने वही हेलीकॉप्टर 60.42 करोड़ रुपए में देने का प्रस्ताव रखा। नियमानुसार खरीदारी सिकोरस्की से की जानी चाहिए थी, लेकिन ऑर्डर यूरोकॉप्टर को दिया गया, जिससे 83 लाख रुपए ज्यादा भुगतान करना पड़ा।
ईसी 155 बी ही क्यों, जवाब नहीं
कैग के अनुसार क्रय समिति ने हेलीकॉप्टर की खरीदारी में ईसी 155 बी मॉडल ही क्यों चुना इसे लेकर भी कोई स्पष्ट कारण नहीं बताए गए। कैग ने पाया कि संचालनालय ने मूल्य निर्धारण के लिए हेलीकॉप्टर की लागत का बाजार मूल्य भी नहीं पता किया। इधर 10 अक्टूबर 2011 हेलीकॉप्टर मिलने के बाद अंतिम भुगतान किया गया, लेकिन उस वक्त तक यूरो की कीमत बढ़ चुकी थी, जिसके चलते 65.63 करोड़ का भुगतान किया गया।