भोपाल। मप्र में सूखा पीड़ित किसानों ने शराब छोड़ दी है। इतना ही नहीं, कंस्ट्रक्शन के काम में लगने वाले मजदूरों ने भी शराब छोड़ दी है। यह संख्या इतनी ज्यादा है कि मप्र का खजाना प्रभावित हो गया। इतना ही नहीं चालू वित्तीयवर्ष में शराब के ठेके भी नहीं हो पा रहे हैं।
मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया का कहना है कि फसल नुकसान और कंस्ट्रक्शन में कमी की वजह से शराब से मिलने वाले राजस्व में भारी कमी आई है। वित्त मंत्री से पूछा गया था कि चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 9 बार नीलामी होने के बाद भी प्रदेश में शराब के ठेके नहीं हुए हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि, यह सब डिमांड और सप्लाई पर निर्भर है।
मलैया के मुताबिक, पिछले साल प्रदेश में कई शराब दुकानें 180-185 फीसदी ज्यादा कीमतों पर नीलाम हुईं थीं, लेकिन इस बार फसल नुकसान, मैन्युफेक्चरिंग एक्टिविटी और कंस्ट्रक्शन के काम में कमी की वजह से दुकानों की नीलामी नहीं हो पा रही। इसका कारण यह है कि इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपनी आय का एक भाग शराब पर खर्च करते हैं, लेकिन इस बार उनकी आमदनी ठप होने से ऐसा कम हो रहा है।