और हसन अली के मामले में ये हो गया

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। जी हा! वही हसन अली जिसके सारे राजनीतिक दलों से गहरे रिश्ते हैं |  इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल [आईटीएटी] ने  उसी हसन अली खान के ऊपर सिर्फ दस करोड़ रुपये की डिमांड को ही जायज ठहराया है| हसन अली खान के ऊपर एक लाख पच्चीस हजार करोड़ रुपये का टैक्स चोरी का मामला चल रहा था, उसे तथ्यों और साक्ष्यों के अभाव में इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इस डिमांड को आधारहीन बताया है| सवाल यह उठता है कि 5 जनवरी, 2007 को जब हसन अली खान पर आयकर विभाग ने उसके मुंबई और पुणे के आवास पर छापेमारी की तब हजारों करोड़ रुपये और स्विस बैंक खातों का एक बड़ा जाल निकलकर सामने आया था और 6 जनवरी, 2007 को आयकर अधिकारियों ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को भी इस छापेमारी में शामिल कर लिया था|

प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारी अनेक बार स्विट्जरलैंड इस जांच के सिलसिले में गए और आए भी| पता चला था कि हसन अली खान का जो खाता स्विस बैंक की सिंगापुर ब्रांच में खोला गया था, उसमें इंट्रोड्यूसर की भूमिका हथियारों के बहुत बड़े पैमाने पर कारोबार करने वाले व्यवसायी अदनान खसोगी ने की थी| यह भी स्पष्ट था कि जिन खातों से हसन अली खान पैसा निकलवाना चाहता था |वे खाते बहुत पहले खोले गए थे, लेकिन हसन अली के अपने खातों से भी 68 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था| स्विस बैंक में चल रहे उन तमाम खातों की जांच-पड़ताल के बाद प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे थे कि हसन अली खान पर करीब एक लाख 25 हजार करोड़ रु. की कर की  मांग बनती है |

देश के इतिहास में इतनी बड़ी मांग शायद पहली बार किसी एक व्यक्ति के नाम पर टैक्स डिमांड के रूप में डिमांड नोटिस जारी कर वसूलने की कोशिश की गई, लेकिन एक जगह जाकर भारतीय एजेंसियों की सुई रुक जाती थी कि हसन अली के नाम पर इतने एस्टे्स और संपत्ति हैं ही नहीं तो हसन अली से वसूली कैसे की जाए? स्विस बैंक में चल रहे दर्जनों खातों और उनमें जमा धन के बारे में जब एजेंसियों ने पता कर ही लिया था, तब भारत सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया कि जो सही मायनों में असली लाभ पाने वालों में थे और उन खातों में संचालन में शामिल थे,उनको ढूंढ़ निकालने में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया? एक हसन अली खान और उनके साथी काशीनाथ टापोरिया के अलावा और लोगों को जांच के दायरे में क्यों नहीं लिया गया? और भारतीय एजेंसियों ने जब इतनी बड़ी रकम हसन अली खान के नाम पर खड़ी कर दी थी तो इसके बारे में गंभीरतापूर्वक विचार क्यों नहीं किया गया?
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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