भोपाल। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित नलखेड़ा से 15 किलोमीटर दूरी पर बसे गड़िया गांव में कालीसिंध नदी के तट पर बने प्राचीन गड़ियाघाट मंदिर इन दिनों चर्चा का बिषय बना हुआ है। यहां पिछले 5 सालों से एक अखंड ज्योति पानी से जल रही है।
भोपाल के रिजनल रिसर्च सेंटर को इस पर रिसर्च करने का काम सौंपा गया है कि आखिर पानी से दीपक कैसे जल रहा। वह भी पिछले पांच सालों से। रिजनल साइंस सेंटर के वैज्ञानिक धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
15 मई को यह दल इस प्रोजेक्ट के लिये रवाना होगा। इस मंदिर में बारिश के दिनों को छोड़, शेष सभी दिनों में मंदिर में दीपक पानी से जलाया जाता है। गड़िया माता मंदिर के मुख्य पुजारी सिद्धूसिंह सोंधिया बचपन से ही मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं। अपने पिता के बाद उन्हें यहां का कार्यभार मिला।
सिद्धूसिंह बताते हैं कि वो बचपन से ही मंदिर में तेल का दीया लगाते थे, लेकिन करीब पांच साल पहले उनके सपने में माता ने दर्शन दिए। इसके बाद से ही मैंने पानी से दीपक जलाना शुरू किया। जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है। सोंधिया बताते है कि यह परंपरा पांच सालों से चली आ रही है। बारिश के दिन छोड़कर सभी दिनों में पानी से ही दीपक जलाया जाता है।
वैज्ञानिक का मत
क्षेत्रीय साइंस रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों का मानना है कि कालीसिंध नदीं पहाड़ों से होकर गुजरती है और ऐसा मानना है कि चट्टानों के बीच जल में ज्वलनशील पदार्थ मिलता है या संपर्क में आता है लेकिन अभी तक वैज्ञानिक उस पानी से कोई दूसरा दीपक नहीं जला पाए हैं।