भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले 4 वर्षो से राष्ट्रीय कौशल विकास योजना के अन्तर्गत विकासखण्ड स्तर पर 135 कौशल विकास केन्द्र संचालित किये जा रहे है जिनके माध्यम से हजारों बेरोजगारों के हाथों मे रोजगार दिया गया, लेकिन अब कौशल विकास केन्द्र के कर्मचारी अपनी दुर्दशा प्रधानमंत्री महोदय को बताने के लिए मजबूर है।
कर्मचारीयों के 4 वर्ष पूर्ण होने के बाद आज दिनांक तक किसी भी कर्मचारी की वेतनव्रद्धि नही की गई। न ही कर्मचारीयों के प्रति स्थानांतरण नीति, ईपीएफ, प्रसूति अवकाश, एवं भविष्य की नीति बनाई गई। यह बात कौशल विकास प्रशिक्षक संघ के प्रदेष कोषाध्यक्ष श्री अबरार कुरैषी द्वारा बताई गई। चर्चा मे श्री कुरैषी द्वारा बताया गया कि पिछले 2 वर्षो से कौशल विकास प्रषिक्षक संद्य द्वारा समस्त कर्मचारीयों की समस्याओं से मुख्यमंत्री कार्यालय, मंत्री महोदय तकनीकि षिक्षा, मुख्य सचिव कार्यालय, विभाग के प्रमुख सचिव महोदय, एंव मध्य प्रदेष व्यवसायिक षिक्षा एंव प्रषिक्षण परिषद (एमपीसीवेट) के संचालक महोदय को अवगत कराया गया। लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन के अलावा कोई उचित कार्यवाही नही की गई। एमपीसीवेट बात करने बताया गया आप सभी की सेवा समाप्त कर पुनः परीक्षा आयोजित की जायेगी, जो कि अनुचित है।
संद्य द्वारा कर्मचारीयों के उज्जवल भविष्य को देखते हुऐ भोपाल मे मीटिंग आयोजित की गई जिसमें प्रदेष के कौषल विकास केन्द्रो मे पदस्थ मैनेजर, प्रषिक्षण अधिकारी (प्रषिक्षक), एवं लेखापाल सेंकडो की संख्या मे कर्मचारी उपस्थित हुऐ, जिसमें निर्णय लिया गया कि अगर मुख्यमंत्री महोदय ने हमारी दुर्दषा अपने संज्ञान मे नही ली या मिलने का समय नही दिया तो सभी कर्मचारी प्रधानमंत्री महोदय को अपनी समस्याओं, विसंगतियों, विभाग की दोहरी नीति से अवगत कराऐंगे। सभी कर्मचारी अपने भविष्य के प्रति चिंतित है और अपनी दुर्दषा को सडक से लेकर संसद तक को बताने के लिए तैयार हैं।
हमारी प्रमुख माँगे:-
1.मॅहगाई को देखते हुए समस्त कर्मचारीयों के मानदेय को पुनःनिरीक्षण कर वेतनव्रद्धि एंव प्रतिवर्ष संसोधन किया जाऐं, और प्रत्येक कर्मचारी को उनके समतुल्य कार्य कर रहे नियमित कर्मचारी का वेतन दिया जाऐं।
2.प्रशिक्षक (ट्रेनर) पद के कर्मचारी की शैक्षेणिक योग्यता इंजीनियरिंग डिग्री रखी गई, लैकिन विभाग इनको 7200 रु प्रतिमाह मानदेय दे रहा क्या यह उचित है। जबकि शासन के ही अन्य संविदा प्रषिक्षको का वेतन 25 से 30 हजार रु प्रतिमाह दिया जा रहा है। इस तरह की वेतनविसंगति को जल्द दूर किया जाए और समतुल्य कर्मचारी आईटीआई के नियमित प्रषिक्षण अधिकारी के वेतन अनुसार मानदेय दिया जाऐ।
3.कर्मचारीयों के भविष्य को ध्यान मे रखते हुए उचित नीति बनाई जाये जिसमे स्थानांतरण नीति, ईपीएफ, प्रसूति अवकाष, मेडीकल लीव, का विषेष ध्यान दिया जाऐ।
4.भविष्य मे आईटीआई. के नियमित पदों की भर्ती मे समस्त कर्मचारीयों को प्राथमिकता दी जाना सुनिष्चित किया जाये।
5.कौषल विकास केन्द्र के किसी भी कर्मचारी की सेवाएॅ समाप्त नही की जाऐंगी, और न ही पुनः परीक्षा ली जाये। क्योकि समस्त कर्मचारी शासन के नियमानुसार निर्धारित मापदण्डो, शैक्षेणिक योग्यता एवं एमपीआॅनलाईन से आॅनलाइन प्रतियोगी परीक्षा से चयनित होकर विभाग को सेवाएॅ दे रहे है।