मप्र में कानून से छेड़छाड़ कर हजारों करोड़ का जमीन घोटाला

भोपाल। ये शायद मप्र का सबसे बड़ा घोटाला होगा। जिस तरह व्यापमं घोटाले ने योग्य युवाओं की नौकरियां छीन लीं, उसी तरह इस घोटाले में हजारों करोड़ की बहुमूल्य जमीन कौड़ियों के दाम बांट दी गई। सरकार ने गुपचुप तरीके से भूराजस्व संहिता की धारा 162 को पुनर्जीवित किया और मात्र 6 महीने में सारा खेल रच लिया गया। यह धारा 40 साल पहले खत्म कर दी गई थी। सरकार ने इस धारा को फिर से क्यों जीवित किया और जब जीवित कर ही दिया था तो फिर वापस खत्म क्यों होने दिया। इसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है। 

इस घोटाले का खुलासा ग्वालियर से हुआ है। राजस्व विभाग की अवर सचिव स्तर की अफसर ने गोले का मंदिर इलाके की 220 बीघा जमीन नारायण प्रसाद कटारे नामक व्याक्ति से गाइडलाइन के आधार पर प्रीमियम शुल्क जमा करा कर उसके नाम करने की अनुशंसा की। 

कटारे ने पिछले 30 साल से अधिक समय से इस सरकारी जमीन पर काबिज होने का दावा किया था। ग्वालियर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक नईदुनिया ने इस मामले को उजागर किया जिसके बाद कलेक्टर ने भी माना कि धारा का दुरूपयोग किया जा रहा है। इसके बाद कलेक्टर ने राजस्व विभाग को आपत्ति भेजी तब विभाग ने अपनी अवर सचिव के आदेश को निरस्त किया।

यह मामला तो एक नजीर मात्र है। पूरे प्रदेश में इस धारा का दुरुपयोग कर हजारों करोड़ की कीमती जमीनें माफियाओं को कौड़ियों के दाम दी गईं होंगी। इस मामले में उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की जरूरत है। सूत्र दावा करते हैं कि इस घोटाले में भाजपा और कांग्रेस से जुड़े भूमाफिया शामिल हैं। इसीलिए कांग्रेस ने इस घोटाले को कभी नही उछाला। 

कैसे खेला खेल 
  • राज्य सरकार ने अगस्त 2015 में गजट नोटीफिकेशन जारी कर राजस्व मंत्रालय ने इस धारा को संशोधन के साथ पुर्नजीवित किया था। इसके छह महीने के अंदर इस धारा को लेकर प्रस्ताव विधानसभा में रखा जाना था, जिससे उसे अधिनियम बनाया जा सके लेकिन राजस्व मंत्रालय ने ऐसा नहीं किया। इस कारण धारा स्वत: ही निरस्त हो गई।
  • इनपुट: अभिषेक शर्मा, पत्रकार, नईदुनिया, ग्वालियर

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