लखनऊ। बीएसपी प्रमुख मायावती ने स्मारकों में कांशीराम के साथ अपनी मूर्तियां लगाने को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने अपने संरक्षक की इच्छा का सम्मान करते हुए ऐसा किया। मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो स्मारकों पर नहीं बल्कि विकास पर ध्यान लगाएगी।
मायावती ने कहा कि जब हमारी सरकार थी और हम महान लोगों की याद में स्मारक, संग्रहालय और पार्क बनवा रहे थे तो बीजेपी और एसपी ने यह कहते हुए विरोध किया था कि सरकारी धन की बर्बादी हो रही है लेकिन अब वे उन्हीं स्मारकों पर टिकट लगाकर धन कमा रहे हैं। अब आलोचक कह रहे हैं कि मायावती ने अपनी खुद की मूर्ति लगवाने के लिए स्मारकों में मूर्तियां लगवाईं।
उन्होंने कहा कि यह कांशीराम की सोच, लिखित वसीयत और मौखिक निर्देशों का परिणाम है, ‘मेरी मूर्ति उनकी मूर्ति के पास लगे, उनके ऐसे उत्तराधिकारी के रूप में जिसने अंबेडकर के सपनों और दलितों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।’ बीएसपी प्रमुख ने कहा, ‘जब ये स्मारक बन रहा था तो कांशीराम ने कहा कि यदि अंबेडकर आज जिंदा होते तो इसे देखकर काफी खुश होते।’ इन स्मारकों में पत्थर के हाथी लगाये जाने के बारे में मायावती बोलीं कि यह स्वागत का प्रतीक है ना कि उनकी पार्टी का निशान।