नरेंद्र मोदी। आज हर परिवार में माँ-बाप का अगर पहला कोई सपना रहता है, तो वो रहता है बच्चों की अच्छी शिक्षा। घर-गाड़ी, सब बाद में विचार आता है और भारत जैसे देश के लिए जन-मन की ये भावना है, वो बहुत बड़ी ताक़त है। बच्चों को पढ़ाना और अच्छा पढ़ाना। अच्छी शिक्षा मिले, उसकी चिंता होना- ये और अधिक बढ़ना चाहिये, और अधिक जागरूकता आनी चाहिए।
और मैं मानता हूँ, जिन परिवारों में ये जागरूकता होती है, उसका असर स्कूलों पर भी आता है, शिक्षकों पर भी आता है और बच्चा भी जागरूक होता जाता है कि मैं स्कूल में इस काम के लिए जा रहा हूँ। और इसलिये, मैं, सभी अभिभावकों से, माँ-बाप से सबसे पहले यह आग्रह करूँगा कि बच्चे के साथ, स्कूल की हो रही गतिविधियों से विस्तार से समय देकर के बातें करें। और कुछ बात ध्यान में आए, तो खुद स्कूल में जा करके शिक्षकों से बात करें। ये जो विजिलेंस है, ये भी हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई बुराइयों को कम कर सकता है और जन भागीदारी से तो ये होना ही होना है।
सभी ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किये
हमारे देश में सभी सरकारों ने शिक्षा पर बल दिया है और हर कोई सरकार ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास भी किया है। और ये भी सच्चाई है कि काफ़ी अरसे तक हम लोगों का ध्यान इसी बात पर रहा कि शिक्षा संस्थान खड़े हों, शिक्षा व्यवस्था का विस्तार हो, स्कूल बनें, कॉलेज बनें, टीचरों की भर्ती हो, अधिकतम बच्चे स्कूल आएँ। तो, एक प्रकार से, शिक्षा को चारों तरफ़ फ़ैलाने का प्रयास, ये प्राथमिकता रही और ज़रूरी भी था, लेकिन अब जितना महत्व विस्तार का है, उससे भी ज़्यादा महत्व हमारी शिक्षा में सुधार का है।
विस्तार का एक बहुत बड़ा काम हम कर चुके हैं। अब हमें, क्वालिटी एजूकेशन पर फोकस करना ही होगा। साक्षरता अभियान से अब अच्छी शिक्षा, ये हमारी प्राथमिकता बनानी पड़ेगी। अब तक हिसाब-किताब आउटले का होता था, अब हमें आउटकम पर ही फोकस करना पड़ेगा। अब तक स्कूल में कितने आये, उस पर बल था, अब स्कूल जाने से ज़्यादा सीखने की ओर हमें बल देना होगा।
फिर भी इनरोलमेंट नहीं बढ़ा
इनरोलमेंट, इनरोलमेंट, इनरोलमेंट - ये मंत्र लगातार गूँजता रहा, लेकिन अब, जो बच्चे स्कूल में पहुंचे हैं, उनको अच्छी शिक्षा, योग्य शिक्षा, इसी पर हमने ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान सरकार का बजट भी आपने देखा होगा। अच्छी शिक्षा पर बल देने का प्रयास हो रहा है। ये बात सही है कि बहुत बड़ी लम्बी सफ़र काटनी है। लेकिन अगर हम सवा-सौ करोड़ देशवासी तय करें, तो, लम्बी सफ़र भी कट सकती है। लेकिन शर्मिला जी की बात सही है कि हम में आमूलचूल सुधार लाने की ज़रूरत है।
इस बार बजट में आपने देखा होगा कि लीक से हटकर के काम किया गया है। बजट के अन्दर, दस सरकारी विश्वविद्यालय और दस प्राइवेट यूनिवर्सिटी- उनको सरकारी बंधनों से मुक्ति देने का और चैलेंज रूट पर उनको आने के लिए कहा है कि आइये, आप टॉप मोस्ट यूनिवर्सिटी बनने के लिए क्या करना चाहते हैं, बताइये। उनको खुली छूट देने के इरादे से ये योजना रखी गयी है।
भारत के विश्वविद्यालय भी वैश्विक स्पर्धा करने वाले विश्वविद्यालय बन सकते हैं, बनानी भी चाहिए। इसके साथ-साथ जितना महत्व शिक्षा का है, उतना ही महत्व स्किल का है, उसी प्रकार से शिक्षा में तकनीकि का बहुत बड़ी भूमिका अदा करेगी। दूरस्थ शिक्षा, टेक्नोलॉजी - ये हमारी शिक्षा को सरल भी बनाएगी और ये बहुत ही निकट भविष्य में इसके परिणाम नज़र आएँगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
- भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम 'मन की बात' से लिया गया।