मझौली में सीएमओ को हटाने वाला प्रस्ताव बहुमत से पारित

मझौली। नगर पंचायत मझौली की नई परिषद का गठन मुश्किल से 03 महीनें ही हुआ होगा जिसमें आये दिन अध्यक्ष द्वारा नगर के विकास कार्य में सीएमओ के साथ न देनें को लेकर चर्चा बनीं रहती थी। वहीं नगर में बीते 03 महीनों में किसी भी तरह का विकास न होना कहीं न कही यह बात सिद्ध भी करता था की सीएमओ व अध्यक्ष के बीच आपसी ताल-मेल न बैठ पाना ही विकास कार्य में बाधा है। 

जिसको लेकर परिषद व पीआईसी की बैठकों में भी सीएमओ द्वारा विशेष रूप से रूचि न लेना व बैठकों से भाग खडे़ होना उनके हठधर्मिता को दर्शाता था। जबकि नगर में भीषण गर्मी के चलते चारो तरफ पेयजल संकट को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। उसी पेयजल समस्या के निराकरण को लेकर परिषद द्वारा 18 अप्रैल को अध्यक्ष द्वारा बैठक बुलाई गई थी जिसके लिये 13 अप्रैल को पत्र क्र. 514 के माध्यम से मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद मझौली को भी 18 अप्रैल को समय 11:00 बजे बैठक में शामिल होनें के लिये कहा गया था लेकिन पिछली बैठकों की ही तरह इस बार बिना कोई कार्यालय में जानकारी दिये ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी कार्यालय से ही नदारद रहे जबकि उनकी उपस्थिती में ही पेयजल संकट को लेकर यह बैठक आहुति की गई थी। 
17 मार्च को परिषद में पारित हुआ था निन्दा प्रस्ताव
श्री आर.एस. त्रिपाठी का मूल पद राजस्व उपनिरीक्षक है जिन्हे राज्य सरकार द्वारा प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद का निर्वहन करनें हेतु नगर परिषद मझौली में पदस्थ किया गया था किन्तु श्री त्रिपाठी अपने पदीय दायित्यों का निर्वहन करनें में अक्षम साबि​त हुए जिसका ताजा उदाहरण अभी पिछले ही महीनें 17 मार्च को पी.आई.सी. की बैठक से भाग जानें पर पी.आई.सी. द्वारा सी.एम.ओ. के खिलाफ निन्दा प्रस्ताव लाया गया था।

उपस्थित 14 मे से 12 पार्षदों नें हटाये जानें के प्रस्ताव में दी सहमति
बैठक में निर्वाचित 15 पार्षदों में से 14 पार्षद बुलाई गई बैठक में शामिल हुए लेकिन सी.एम.ओ. के बैठक में उपस्थित नहीं होनें पर पार्षदों द्वारा सी.एम.ओ. के ही खिलाफ उन्हे हटाये जानें का प्रस्ताव पारित करनें का बैठक में निर्णय लिया गया जिसमें 02 पार्षदों (अजय तोमर वार्ड क्र. 04 व सुधा तिवारी वार्ड क्र. 14)द्वारा हटाये जानें के प्रस्ताव पर असहमति जताई गई व इनके द्वारा परिषद द्वारा सी.एम.ओ. को एक और मौका दिये जानें की बात कही गई। वहीं 12 पार्षदों द्वारा विकास कार्य में बाधा व परिषद के सदस्यों की अवमानना का आरोप लगाते हुए सी.एम.ओ. को हटाये जानें के प्रस्ताव पर अपनीं सहमति जताई जिनमें श्रीमती रूवी सिंह अध्यक्ष, मनोज तिवारी उपाध्यक्ष (पार्षद वार्ड क्र.  15), अनीता कोल वार्ड क्र. 01, मनीलाल कुशवाहा वार्ड क्र. 02, शिवराज कोल वार्ड क्र. 05, सावित्री केवट वार्ड क्र. 06, शशी गुप्ता वार्ड क्र. 07, रीना गुप्ता वार्ड क्र. 08, कन्हैयालाल गुप्ता वार्ड क्र. 09, मीना सोनी वार्ड क्र. 10, रत्नेश साकेत वार्ड क्र. 11, पूनम रावत वार्ड क्र. 12, नीरज मिश्रा वार्ड क्र. 13 द्वारा सर्वसम्मति से हटाये जानें के प्रस्ताव पर अपनीं सहमति जताई। 

क्या है वापस भेजने का नियम
मध्य-प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 89 में उल्लेख है कि प्रतिनियुक्ति व्यक्तियों को राज्य सरकार अपने उन अधिकारियों को अपनी स्वप्रेरणा से या निर्वाचित पार्षदों की कुल संख्या के आधे से अधिक पार्षदो के इस बारे में विशेष सम्मेलन में इसी पक्ष में मत देने पर वापस ले सकेगी। 

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