INDORE। गुरुवार सुबह BHOPAL की सीबीआई टीम ने इंदौर में सेंट्रल एक्साइज विभाग के पूर्व और वर्तमान सात अधिकारियों और एक क्लियरिंग हाउस एजेंट के यहां छापे मारे। कार्रवाई रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर एके शुक्ला, रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट केवी पाटिल, एमएल चौहान, विनायक जोशी के साथ वर्तमान में पदस्थ सुपरिंटेंडेंट नौशाद और क्लियरिंग हाउस एजेंट अंकित मेहता के यहां हुई। चेन्नई में पदस्थ असिस्टेंट कमिश्नर एस. चटराज, मुंबई में दो अन्य जगह भी कार्रवाई हुई।
इन पर आरोप हैं कि तीन साल पहले इन्होंने इनलैंड कंटेनर डिपो धन्नड़ से करीब सौ कंटेनर जिसमें विदेशों से लॉन्जरी और सेक्स टॉय, प्रतिबंधित केमिकल पर वास्तविक कीमत की बजाए केवल 4% कीमत बताकर 100 करोड़ से ज्यादा की ड्यूटी चोरी की। वहीं प्रतिबंधित वस्तुओं को शो नहीं किया।
सभी जगह अधिकारियों को बयान लेने के साथ सीबीआई ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। सीबीआई की अलग-अलग जांच टीमों ने घर पहुंचकर सभी अधिकारियों से पूछताछ की। कुछ के यहां रात तक पूछताछ चली। सीबीआई एसपी हरि सिंह ने बताया कि इंदौर, मुंबई और चेन्नई से दस्तावेज, कम्प्यूटर हार्ड डिस्क और अन्य सामान जब्त किए हैं।
DRI ने CBI को सौंपा मामला
डीआरआई इस मामले में इन सभी आरोपियों को शोकॉज नोटिस कुछ माह पहले जारी चुकी है। कई बार दिल्ली में पूछताछ भी हुई। इसमें मिले तथ्यों की जांच के लिए डीआरआई को इन अधिकारियों के यहां छापे मारने थे, जिसके अधिकार उनके पास नहीं हैं। इसके चलते सीबीआई को भी इसमें जोड़ा गया और इंदौर, मुंबई और चेन्नई में छापे मारे गए।
कमिश्नर को दे दिया जबरन रिटायरमेंट
इस मामले में तीन साल पहले इंदौर में कमिश्नर रह चुके जयप्रकाश की भी जांच हुई थी। बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई, लेकिन मार्च में केंद्र सरकार ने यह कहते हुए उन्हें जबरन रिटायरमेंट दे दिया कि उनका विभाग के लिए आउटपुट कुछ भी नहीं है।
यह है पूरा मामला
2013 में सौ कंटेनर बिना उचित ड्यूटी के पास किए गए। प्रतिबंधित वस्तुएं आयात होकर इंदौर आई और यहां से प्रदेश व अन्य राज्यों में बेची गई। यह दिल्ली के किरीट श्रीमंकर और मनजीत सिंह ने बुलाई थी। शिकायत के बाद डायरेक्टर रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) दिल्ली ने जांच की। 18 कंटेनर मुंबई और इंदौर से जब्त किए। इसी मामले में एस. चटराज, विनायक जोशी, राजेश पुराणिया, एमएल चौहान, कमिश्नर इंदौर सेंट्रल एक्साइज जयप्रकाश को निलंबित किया गया। हालांकि बाद में जयप्रकाश इस केस से मुक्त हो गए।