इंदौर। सहायक प्राध्यापक के 2400 पदों पर भर्ती के लिए एमपी पीएससी (मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग) द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया फिर नियमों में उलझ गई है। यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन) द्वारा नेट की अनिवार्यता खत्म किए जाने के निर्णय के कारण पीएससी को प्रक्रिया रद्द करना पड़ेगी।
हालांकि इस मामले में अभी असमंजस की स्थिति है। पीएससी प्रबंधन भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग को ही इस पर निर्णय लेना है। इससे पहले भी पीएससी को प्रक्रिया रद्द करना पड़ी थी। पुराने विज्ञापन में नेट को जरूरी बताया था।
जानकारों का कहना है कि पीएससी प्रबंधन को नया विज्ञापन जारी करना होगा, क्योंकि पुराने विज्ञापन में अभ्यर्थियों के लिए नेट की अनिवार्यता की शर्त थी। उसी विज्ञापन के आधार पर पीएससी किसी भी स्थिति में बिना नेट वाले अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार नहीं कर सकता। ऐसे में उसे इंतजार है कि उच्च शिक्षा विभाग इस मामले में नए दिशा-निर्देश जारी करे ताकि आवेदन प्रक्रिया में बदलाव किया जा सके।
60 हजार आवेदन हो चुके खारिज
पहले भी पीएससी प्रबंधन ने 2014 में 1646 सहायक प्राध्यापकों के पदों के लिए विज्ञापन जारी कर प्रक्रिया शुरू की थी। तब 60 हजार अावेदन आए थे, लेकिन यूजीसी द्वारा नेट और 2009 के बाद पीएचडी करने वालों के लिए कोर्स वर्क की अनिवार्यता के नियम के कारण पूरी प्रक्रिया खारिज करना पड़ी थी। लंबे इंतजार के बाद पीएससी प्रबंधन ने पिछले महीने दोबारा यह प्रक्रिया शुरू की थी।
इस बार 2400 पदों के लिए यह प्रक्रिया शुरू की गई। लगभग 800 पद बढ़ने के बाद माना जा रहा था कि इस बार 70 हजार से ज्यादा आवेदन आएंगे, लेकिन यूजीसी ने नेट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। ऐसे में संख्या एक लाख के पार भी पहुंच सकती है। फिलहाल नेट क्वॉलिफाई नहीं करने वाले आवेदकों को पीएससी के विज्ञापन का इंतजार है।