भोपाल। शासकीय अफसर और कर्मचारी अपने खिलाफ लगाए आरोप और चल रही विभागीय जांच से संबंधित कोई भी जानकारी अब सूचना के अधिकार के तहत मांग सकते हैं। राज्य सूचना आयोग ने यह आदेश एक मामले की सुनवाई करते हुए दिया।
आयोग में अपीलकर्ता सुरेश कुमार आरसे ने उच्च न्यायालय मप्र जबलपुर के लोक सूचना अधिकारी रजिस्ट्रार और अपीलीय अधिकारी के विरुद्ध अपील की थी कि उन्हें सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने सूचना आयोग में हुई सुनवाई में बताया कि उनके विरुद्ध मार्च 2014 को विभागीय जांच शुरू कर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसके बाद उन्होंने मांग की थी कि, उच्च न्यायालय जबलपुर विजिलेंस सेल को मामले में भेजी गई टीप की प्रति और इसके बाद दिए गए आदेश की कॉपी दी जाए। इस पर लोक सूचना अधिकारी ने यह कह कर जानकारी देने इंकार कर दिया कि शिकायत पर जांच चल रही है। मामले में अंतिम निर्णय नहीं आया इसलिए सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8-1 एच के प्रावधान के अनुसार जानकारी नहीं दी जा सकती।
अपील पर सुनवाई करते हुए आयोग ने कहा कि जिसके विरुद्ध आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच शुरू की गई है, उस शासकीय अधिकारी और कर्मचारी को विभागीय जांच का आधार संबंधी दस्तावेज और रिकॉर्ड न देना न्याय संगत नहीं है।
एक हफ्ते में जानकारी दें
राज्य सूचना आयुक्त हीरा लाल त्रिवेदी ने निर्णय दिया है कि जिस व्यक्ति के विरुद्ध जांच शुरू की गई है उसे जांच संबंधी दस्तावेज दिया जाना चाहिए। मामले में निर्देश दिए गए हैं कि आदेश प्राप्त करने के एक सप्ताह के अंदर अपीलकर्ता के पंजीकृत डाक से जानकारी उपलब्ध कराई जाए। सुनवाई के दौरान लोक सूचना अधिकारी व अपीलीय अधिकारी उच्च न्यायालय मप्र की ओर से अधिवक्ता एमके आचार्य उपस्थित हुए थे।