नीरज साकल्ले/भोपाल। एमपी नगर स्थित श्री महालक्ष्मी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने बूंद-बूंद सागर नामक लघु बचत योजना शुरू की थी। इसमें एक वर्ष तक राशि जमा करना होती है। इसके बाद योजना के तहत एक निश्चित रकम जमाकर्ता को लौटाई जाती है। इस योजना में कई छोटे व्यापारियों द्वारा प्रतिदिन एक निश्चित राशि जमा की गई थी, लेकिन जब रकम लौटाने की बारी आई तो सोसायटी के कर्ताधर्ता रफूचक्कर हो गए।
राशि जमा करने वालों में कोटरा सुल्तानाबाद, नेहरू नगर, शिवाजी नगर आदि इलाकों के कई व्यापारी शामिल हैं। उन्होंने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस के अलावा सीएम हेल्पलाइन और सहकारिता आयुक्त कार्यालय को की है। सहकारिता आयुक्त ने जांच का जिम्मा निरीक्षक पीएल चिल्ले को सौंपा था। उन्होंने मामले की जांच कर आरोपियों को अमानत में खयानत करने का दोषी पाया। जांच रिपोर्ट में साेसायटी के अध्यक्ष प्रवीण गहलोत और संचालक मंडल के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की पुलिस अधीक्षक को अुनशंसा भी की गई। लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
जांच रिपोर्ट सौंप दी है
मैंने फरियादियों के बयान ले लिए हैं। आराेपी खुद जांच के लिए आने की बात कहता रहा, लेकिन उपस्थित नहीं हुआ। मैंने जांच रिपोर्ट सौंप दी है। अब आगे की कार्रवाई कमला नगर अथवा टीटी नगर थाने द्वारा की जाना है। 
जयकरण सिंह परिहार,
उपनिरीक्षक, एमपी नगर थाना
ये हैं मुख्य आरोपी
को-ऑपरेटिव सोसायटी के संचालक मंडल में वैसे तो 11 सदस्य हैं। लेकिन इसके मुख्य कर्ताधर्ता प्रवीण उर्फ पंकज गहलोत हैं। इन्होंने व्यापारियों को 4 फीसदी ब्याज का लालच देकर झांसे में लिया। पासबुक में कार्यालय का पता 79, सनी पैलेस, जोन-1, एमपी नगर छपा है। गहलोत के पास जब मोटी रकम जमा हो गई तो उन्होंने अपना कार्यालय बंद कर दिया। व्यापारियों से पैसे लेने के लिए सोसायटी के एजेंट उनकी दुकान पर जाते थे। किसी भी व्यापारी ने कार्यालय का पता नहीं लगाया। उनकी इस लापरवाही का फायदा धोखाधड़ी करने वालों ने उठाया। जमाकर्ताओं का आरोप है कि हम अपने पैसे के लिए प्रवीण गहलोत से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन वह फोन ही नहीं उठा रहा है। पासबुक में दर्ज पते पर श्री महालक्ष्मी नामक सोसायटी का कार्यालय नहीं है।