नई दिल्ली: केरल के 43 वर्षीय पी.सी. मुस्तफा ने 25,000 रुपए से शुरू करके आज 100 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है। मुस्तफा केरल के वायनाड जिले के दूरदराज के एक गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता एक कुली थे और उनकी मां कभी स्कूल नहीं गई थीं। मुस्तफा भी कक्षा 6 में फेल हो गए थे, लेकिन उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए कालीकट के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और बेंगलुरु के भारतीय प्रबंधन संस्थान में पढ़ाई की।
कई लोगों को दे रहा नौकरी
उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज मुस्तफा 100 करोड़ की कंपनी (आईडी ताजा पैक इडली और डोसा) जो डोसा बैटर और रोटी बनाती है, के मालिक हैं। इस कंपनी के प्रोडक्ट्स भारत के मुख्य शहरों में मिलते हैं। हैरानी की बात यह है कि मुस्तफा ने अपनी कंपनी मात्र 25,000 रुपए लगाकर शुरू की थी और आज वह कई ग्रामीण लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
गांव में न बिजली ना पक्क सड़क
मुस्तफा कहते हैं, मैं वायनाड में कलपट्टा के पास चेन्नालोड नामक एक छोटे से गांव में पला बढ़ा, जहां न ही पक्की सड़क थी और न ही बिजली। रोजाना उच्च विद्यालय जाने के लिए हमको कम से कम चार किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। रोज इतना लम्बा सफर तय करने की वजह से कई बच्चे शिक्षा ग्रहण भी नहीं कर पाए। मेरे पिता ने भी कक्षा 4 के बाद पढ़ाई बंद कर दी थी और एक कॉफी बागान पर कुली के रूप में काम करते थे। मेरी तीन छोटी बहनें हैं।
एक आइडिये ने बदली जिंदगी
एक बार मुस्तफा ने देखा कि एक लड़का डोसा के बैटर को पॉलीथीन में रबरबैंड से बांधकर बेच रहा है और यहीं से मुस्तफा को विचार आया कि इस व्यवसाय को एक बड़े पैमाने पर शुरू किया जा सकता है। मुस्तफा ने इस काम की शुरुआत करने का मन बनाया। मुस्तफा के पांच चचेरे भाइयों ने उसके इस काम में हाथ बंटाया। जहां पांच लोगों द्वारा इस कंपनी में दिन के केवल 10 पैकेट्स बनते थे, वहीं आज 2016 में इस कंपनी में 1100 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो प्रतिदिन 50,000 पैकेट बनाते हैं। मुस्तफा की सफलता की कहानी यही साबित करती है कि अगर मन में किसी काम को करने की ठान लो, तो कामयाबी खुद-ब-खुद आपके कदम चूमेगी।