जबलपुर। सऊदी अरब के रियाद में एक कम्पनी में नौकरी करने गए जबलपुर समेत प्रदेश के 15 युवकों को बंधक बनाए जाने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले में सऊदी अरब में बंधक बनाए गए युवकों को रिहा कराकर स्वदेश लाने की गुहार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से की गई है।
जबलपुर के वैद्यनाथन नगर में रहने वाला अरशद खान एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी में काम के लिए गया था। उसे एजेन्ट द्वारा 15 सौ रियाल प्रतिमाह की मजदूरी देने के लिए कहा गया था। अरशद समेत इंदौर आदि क्षेत्रों के 15 युवक सऊदी अरब काम के लिए गए थे। इंदौर के एक एजेन्ट उस्मान भाई आदि के द्वारा उनसे बाकायदा पैसा लिया गया था। जीसीएफ कर्मी अब्दुल अब्बास का पुत्र 26 वर्षीय अरशद 12 मार्च को सऊदी अरब गया था। उससे पूरे माह 16-16 घंटे काम कराया गया। उसे केवल सोने के लिए ही जाने दिया जाता था। इस दौरान उन्हें अपने खाने की भी व्यवस्था करनी पड़ती थी।
जानकारी अपने पिता को जबलपुर में मोबाइल पर दी
इसके बाद उनको कहा गया कि 1 हजार रियाल अर्थात करीब 18 हजार रुपये देंगे। इस पर भी अरशद तैयार हो गया, लेकिन बाद में उससे 6 सौ रियाल पर काम करने के लिए कागज पर दस्तखत कराए गए, सभी ने विरोध दर्ज करा दिया। विरोध होता देख कम्पनी ने सभी युवकों का पासपोर्ट छीनकर बंधक बना लिया।
अरशद ने अपने साथ हुए इस बर्ताव की जानकारी अपने पिता को जबलपुर में मोबाइल पर दी। अरशद के पिता ने इंदौर में एजेन्ट को जानकारी देकर अपने बेटे को बंधक बनाए जाने तथा उसे वापस जबलपुर लाने के लिए कहा तो एजेन्ट ने केवल आश्वासन दिया कि उनका बेटा वापस आ जाएगा, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि कम्पनी ने अरशद समेत 15 लोगों को बंधक बना रखा है और उनको वापस आने नहीं दिया जा रहा है।