भोपाल। मप्र अनुसूचित जाति विकास विभाग में एलईडी एवं ट्यूबलाइट की खरीदी में जमकर घोटाला हुआ है। धांधली इस कदर हुई कि 24 रुपए की ट्यूबलाइट 2400 रुपए में खरीदी गई। इस सारे खेल के पीछे एक आईएएस अधिकारी एवं कमिश्नर अनुसूचित जाति विकास संजीव झा का नाम सामने आ रहा है। आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग किया और तमाम ब्रांडेड उपकरण एमआरपी से ज्यादा कीमत देकर खरीदे।
इसके लिए जिलास्तर तक लॉबिंग की गई। कलेक्टरों को राजधानी से फोन किए गए। उन्हें निर्देश दिए गए कि वो तमाम उपकरण एक विशेष सप्लायर से ही खरीदें। खरीदी आदेश जारी करवाने से लेकर पेमेंट कराने तक राजधानी से लगातार फालोअप कॉल किए गए। अनुसूचित जाति विकास विभाग का कमिश्नर आॅफिस इस दौरान एक ऐजेंट की भूमिका निभाता दिखा।
जिन्होंने टेंडर नहीं डाले, उन्हें काम मिल गया
इस पूरे खेल में 5 चुनिंदा सप्लायर भी शामिल हैं। विभाग ने एक करोड़ साठ लाख के एलईडी बल्ब खरीदे गए जबकि जिलों के छात्रावासों में इतने बल्ब की आवश्यकता ही नहीं थी। इसके लिए विशेष बजट अनुसूचित जाति विकास के कमिश्नर कार्यालय से डाला गया और बजट से कुछ विशेष लोगों को ही खरीदी करने के लिए जिला अधिकारी को ताकीद किया गया। सप्लाई उठ ठेकेदारों ने की जिन्होंने टेंडर प्रक्रिया में भाग भी नहीं लिया था।
CM सचिवालय ने पकड़ी गड़बड़ी
मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस को इस मामले की जानकारी जिलों से मिली थी। उन्होंने सहकारिता विभाग के पीएस और कमिश्नर से चर्चा की और उपभोक्ता संघ को जांच के लिए ताकीद किया। जांच के बाद सहकारिता विभाग ने आनन-फानन में अपने तीन अधिकारियों रणमतसिंह, विजयकांत दुबे और राधेश्याम शर्मा को निलंबित कर दिया।
कमिश्नर ने अब तक नहीं दी मामले की जांच रिपोर्ट
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह का कहना है कि उन्होंने ही सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव से मामले की जांच करवाने को कहा था। जांच विभाग के कमिश्नर को सौंपी है। अभी तक इस मामले की जांच करके उन्होंने रिपोर्ट नहीं दी है।