मोदी राज में नौकरियां तेजी से घटीं, 4 लाख थीं, 1 लाख रह गईं

नईदिल्ली। इन 2 सालों ने भारत के प्रधानमंत्री ने कई काम करवाए। बैंकों में खाते खुलवाए, सफाई करवाई, सब्सिडी छुड़वा दी। उनकी एक अपील पर सारा देश दौड़ता रहा, लेकिन बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के मामले में मोदी सरकार, मनमोहन सरकार से भी ज्यादा फिसड्डी निकली। उस जमाने में बेरोजगारों को 4 लाख नौकरियां मिलीं थीं, इस जमाने में 1 लाख रह गईं। 

2 साल पहले जब पीएम केंडिडेट नरेंद्र मोदी चुनावी भाषण देते थे तो वो यह कहते नहीं थकते थे कि जब वो आएंगे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा, नौकरियों की बहार लाएंगे, अच्छे दिन आएंगे। इतना ही नहीं बीते दिनों अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए साक्षात्कार में भी उन्होंने कहा था कि उनका लक्ष्य है कि देश के युवाओं को रोजगार मिले लेकिन हकीकत पीएम मोदी के दावों और वादों से उलट है। 

श्रम कार्यालय द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि इस तिमाही नौकरी मिलने के अवसर बीते सालों से सबसे कम हुए हैं। सर्वे के आंकड़ो पर गौर करें तो यह बात भी सामने आती है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कार्यकाल नौकरियों के मामले में पीएम मोदी से अच्छा था।

बता दें कि कि देश में नौकरी पाने के अवसर कितने कम हुए और कितने बढ़े इस संबंध में पहला सर्वे 2009 में किया गया था। मौजूदा सर्वे जो कि आठ सेक्टर्स में किया गया है जिसमें लेदर, मेटल, ऑटोमोबाइल , जूलरी, ट्रांसपोर्ट, आईटी बीपीओ, कपड़ा और हैंडलूम पावरलूम शामिल थे। उनकी 1932 यूनिट्स के सर्वे में यह बात सामने आई है कि 2013 में 4.19  लाख नौकरियां निकली थी और 2014 में यह आंकड़ा 4.21 लाख पहुंचा लेकिन 2015 में यह 1.35 लाख तक ही सीमित रह गया।

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