सतना। यहां से 6 साल पहले गायब हुई लड़की मुंबई में जाकर मिली। वो यहां उस महिला के साथ रह रही थी जिसने उसे 6 साल पहले किडनेप किया था। महिला उसे अपनी बेटी बुलाती थी और घर के सामान्य कामकाज करवाया करती थी। जबकि पुलिस का दावा है कि लड़की को जिस्म की मंडी में उतारने की तैयारी थी। गायब हुई लड़की का पता मुंबई की एक पड़ौसवाली महिला ने पुलिस को दिया था।
आखिर, गरिमा कैसे बनी बिंदिया ?
सतना में 11 नवम्बर 2010 शाम पांच बजे गरिमा अपने माता-पिता के साथ उनकी दुकान पर बैठी थी। गरिमा की मां और पिता रमेश कुमार वर्मा बस स्टैण्ड इलाके में चूड़ियां बेचने का काम करते हैं, तभी एक कमला नाम की महिला और उसके साथी की नजर मासूम पर पड़ी।
कमला पन्ना जिले के देवेंद्रनगर की रहने वाली है, पुलिस का कहना है कि वो जिस्मफरोशी के धंधे से जुड़ी थी। वही कमला और उसका साथी गरिमा को चॉकलेट का लालच देकर उसका अपहरण करके मुंबई के दुर्गा नगर ले गए। जहां मासूम को अपने साथ रख घर का सारा काम करने लगी। अब कमला ने गरिमा का नाम चंदा रख दिया और उसे अपनी बेटी बताती रही।
ऐसे हुआ खुलासा
जैसे-जैसे समय बीतता गया, तभी पास में ही रहने वाली राखी नामक महिला की मुलाकात गरिमा से हुयी और उसे आरोपी महिला कमला पर शक हुआ। राखी ने इस बात की सूचना एमआई डीसी थाना पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी। तहकीकात में पुलिस को यकीन हुआ कि गरिमा, कमला की बेटी नहीं है।
मुम्बई पुलिस के जांच अधिकारी पीएस आई राव के अनुसार, इस मामले को लेकर उन्होंने कुछ दिन पहले सतना पुलिस से संपर्क किया। जब पुलिस ने रिकॉर्ड खंगाला गया तो 2010 में एक लड़की का लापता होने की जानकारी मिली। यह रिपोर्ट जिले के कोलगवां थाना में दर्ज थी। लिहाजा, मुम्बई पुलिस पहचान के लिए संतोषी को सतना ले कर आई। जहां माता-पिता ने उसे पहचान लिया। अपनी बेटी को 6 साल बाद सही सलामत पाकर वे खुशी से फूले नहीं समा रहे।
सेक्स मंडी में उतारने की तैयारी
पुलिस का दावा है कि कमला इसकी मुम्बई में परवरिश कर रही थी और कुछ दिनों बाद उसे जिस्मफरोशी की दुनिया में झोंक देने की तैयारी में थी। पुलिस का यह भी दावा है कि इसके पीछे एक गिरोह काम कर रहा है, जो मासूम लड़कियों की तस्करी करता है। इस बात पर कोई शक नहीं कि देवेंद्रनगर जिस्मफरोशी के लिए बदनाम इलाका है और जहां के तार मुम्बई और कलकत्ता तक जुड़े हैं।