
शाम 5 बजे का वक्त था जब अचानक तेज आंधी के साथ बारिश शुरू हो गई। पंडालों के भीतर पानी घुसने लगा और फिर कई पंडाल हवा को झोंके में टिक नहीं पाए और उखड़कर जमीन पर आ गिरे। पंचकोसी की यात्रा का आज आखिरी दिन था जिस वजह से काफी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे। सबसे ज्यादा नुकसान मंगलनाथ क्षेत्र में हुआ जहां संदीपनी आश्रम के पास बने कई पंडाल ताश के पत्तों की तरह धराशायी हो गए।
उज्जैन में 300 हेक्टेयर में मेलाक्षेत्र फैला हुआ है। 13 अखाड़ों के अलावा सैकड़ों पंडाल यहां बने हैं। बारिश में कई तंबू उखड़ गए और आयोजन स्थल पर कई जगह कीचड़ भर गया। हालत ये थी कि पूरे उज्जैन शहर की बिजली गुल हो गई। मेला क्षेत्र का ज्यादा हिस्सा कच्ची जमीन पर बसाया गया जिसकी वजह से नुकसान और ज्यादा हुआ है.