नई दिल्ली। असम की जनता ने 15 साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को बेदखल कर बीजेपी को पहली बार सत्ता की चाबी सौंप दी है। असम में हर वर्ग ने 15 साल की एंटी इनकंबेसी के खिलाफ वोट देकर भाजपा को जीत दिलाई है।
असम चुनाव के दूसरे चरण में मुस्लिम वर्ग ने भी भाजपा में अपना भरोसा दिखाया है। अगर बात की जाए मुस्लिम बहुल सीटों की तो वहां भी भाजपा के पक्ष मे वोट पड़े हैं। आपकों बतां दे कि असम में 34 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। 34 सीटें ऐसी हैं जहां बांग्लादेशी इमिग्रेंट्स का दबदबा है जिन्हें अब इंडियन सिटिजनशिप मिल चुकी है।'
ऐसे में बीजेपी नेता हिमंत विश्वा के बयान ने इन सीटों पर भाजपा के प्रति भरोसा कायम करने मे अहम भूमिका निभाई है। हिमंत विश्वा ने बयान दिया था कि अगर इस बार उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वो 1951 से बाद और 1971 से पहले बांग्लादेश से आए मुस्लिमों को सिटिजनशिप देंगे। हिमंत विश्वा के इस बयान ने बांग्लादेशी इमिग्रेंट्स सीटों पर भाजपा के पक्ष में मतदान कराने में अहम भूमिका निभाई है।
भाजपा की जीत पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि असम में हमें बंगालियों, पंजाबियों और मारवाड़ियों को एकजुट करना होगा। हमें मिलकर रहना होगा, मिलकर काम करना होगा और मिलकर लड़ना होगा।
वहीं बीजेपी के नेता राम माधव ने भी असम में पहली बार कमल खिलने पर खुशी जाहिर की है। राम माधव ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘असम के लोगों ने हमें 48-49 फीसदी वोट दिया है। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं। हमारी सरकार राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।‘
आपकों बता दे कि इस बार के चुनाव में भाजपा के गठबंधन काफी मजबूत माना जा रहा था। इस बार बीजेपी ने असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन किया।