
ये कर्मी जानवरों से भी गए बीते हो गए। एक तरफ अधिकारी अपनी इस सोच को अंजाम देते जा रहे है और दूसरी तरफ वर्तमान सरकार चुप रह कर इस तानाशाही को अपना मौन समर्थन दे रही है। हमे अपनी मध्यप्रदेश सरकार से ऐसी उम्मीद कभी नही थी की जो एक तरफ तो बेरोजगारों को रोजगार देनी की बात करती है और दूसरी तरफ रोजगार में लगे हजारों लोगों को बेरोजगार करके लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। वाह रे मामा कैसा खेल खेल रहे हो अपने भांजों के साथ। ऐसा लग रहा है जेसे तानाशाही का राज छा गया है इस समय मध्यप्रदेश में। सरकार ने सोचना तो दूर इस तरफ देखना भी ग़वारा नही समझा। क्या यह सरकार अंधी और बेहरी हो गई है, जिसे बेरोजगार हो गए हजारों लोगों की पीड़ा ना दिखाई दे रही है ना उनकी दर्द से भरी चीख सुनाई दे रही है।
न्याय की प्रत्याशा में
एक पीड़ित कर्मचारी