तनाशाह अधिकारियों को समर्थन क्यों देते हैं शिवराज

उमेश कुमार। स्वास्थ्य विभाग ने आनन फानन में एनआरएचएम के अंतर्गत आने वाले 17 पद समाप्त कर दिए। अधिकारियों ने तो अपना फरमान जारी कर दिया लेकिन एक बार भी उन्हें यह ख्याल नही आया कि इन पदों पर कार्यरत करीब 1200 लोगों पर कैसा कहर टूटेगा। बहुत से लोग तो सिर्फ अपनी इसी नौकरी पर अपनी जिंदगी 10 सालो से गुजार रहे थे और अपने परिवारों का भरण पोषण कर रहे थे। और फिर इसके बाद इन आला अधिकारीयों के कुछ ऐसे वक्तव्य आते है कि "हमे जब तक जरुरत होगी तभी तक हम इन्हें काम पर रखेंगे" मतलब कितनी घृणित सोच है इन अधिकारियों की, जो सालों से अपनी सेवाएं दे रहे है उनके लिए। 

ये कर्मी जानवरों से भी गए बीते हो गए। एक तरफ अधिकारी अपनी इस सोच को अंजाम देते जा रहे है और दूसरी तरफ वर्तमान सरकार चुप रह कर इस तानाशाही को अपना मौन समर्थन दे रही है। हमे अपनी मध्यप्रदेश सरकार से ऐसी उम्मीद कभी नही थी की जो एक तरफ तो बेरोजगारों को रोजगार देनी की बात करती है और दूसरी तरफ रोजगार में लगे हजारों लोगों को बेरोजगार करके लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। वाह रे मामा कैसा खेल खेल रहे हो अपने भांजों के साथ। ऐसा लग रहा है जेसे तानाशाही का राज छा गया है इस समय मध्यप्रदेश में। सरकार ने सोचना तो दूर इस तरफ देखना भी ग़वारा नही समझा। क्या यह सरकार अंधी और बेहरी हो गई है, जिसे बेरोजगार हो गए हजारों लोगों की पीड़ा ना दिखाई दे रही है ना उनकी दर्द से भरी चीख सुनाई दे रही है। 
न्याय की प्रत्याशा में
एक पीड़ित कर्मचारी

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