भोपाल। जिस तरह से भोपाल में मेट्रो ट्रेन का काम चल रहा है और अफसरों की जो बेरुखी सामने आ रही है वो अपने आप में यह अनुमान लगाने के लिए काफी है कि भोपाल शहर की उम्मीदों की मेट्रो शुरूआत से ही खटारा होगी। इस प्रोजेक्ट की शुरूआत में किसी भी स्तर पर कोई खास मेहनत होते दिखाई नहीं दे रही है। आज जब पटना में स्काई ट्रेन पर काम शुरू हो गया है, भोपाल में मेट्रो की प्लानिंग तक नहीं हो पा रही है।
सरकार के हिसाब से उसने एक बड़ी उपलब्धि वाला काम यह किया है कि सबसे कम ब्याजदर पर जापानी कंपनी जापान इंटरनेशनल कोओपरेशन एजेंसी (जायका) का लोन ले लिया है। हालांकि यह कर्ज अंतत: महंगा ही साबित होने वाला है, क्योंकि जायका की शर्तें अपने आप में कुछ इस तरह की हैं जो उसे ब्याज कम लेकिन ज्यादा से ज्यादा फायदा दिलाएगी।
2020 की मेट्रो के लिए 2005 का मास्टर प्लान
जायका ने शहर की भविष्य की प्लानिंग समझने के लिए मास्टर प्लान मांगा है, लेकिन नया प्लान न होने की वजह से नगरीय प्रशासन संचालनालय ने 2005 तक के लिए बने भोपाल विकास योजना (मास्टर प्लान) सौंप दिया। इस प्लान में न तो मेट्रो और न ही बीआरटीएस जैसे आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की प्लानिंग है। अब इस प्लान पर मेट्रो का प्रोजेक्ट बन गया तो पहले ही दिन से मेट्रो ट्रेन ठसाठस भरी नजर आएगी। आने वाले दिनों में मेट्रो में पैर रखने की जगह भी नहीं होगी।
पुरानी तकनीक पर नया कारोबार
जापानी कंपनी जायका पुरानी तकनीक पर नया कारोबार कर रही है। उसका फोकस क्वालिटी और आधुनिक संशोधनों से ज्यादा अपने फायदे पर है। वो यहां ऐसा माल टिकाने के मूड में है जो उसके यहां गोदामों में पड़ा पड़ा खराब होने वाला है।