सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं बालाघाट के राइस मिलर्स

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ के प्रबंधक संचालक बीएम शर्मा ने समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को छत्तीसगढ और महाराष्ट्र के राईस मिलर्स से कस्टम मिलिंग करवाने के निर्देश दिये हैं जिसके परिपालन में धान की डिलेवरी संबंधित मिलर्स को की जाने लगी है।

यह उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लगभग 170 राइस मिले है और उनमें धान पिसाई कर चावल बनाने के लिये पर्याप्त क्षमता भी है। इसके बावजूद प्रदेश के मिलर्स से कस्टम मिलिंग ना करवाकर छत्तसीगढ और महाराष्ट्र के मिलर्स से करवाना एक पूर्ण नियोजित कारगुजारी है। जिसके माध्यम से संबंधित राईस मिलर्स द्वारा एक तयशुदा नजराना प्रति क्विंटल की दर से अधिकारियों को दिया जा रहा है।

यह बताया जा रहा है कि उपार्जित धान की मात्रा में से 10 प्रतिशत धान से उष्णा चावल बनाकर भारतीय खादय निगम को प्रदाय किया जायेगा। इस हेतु बालाघाट, जबलपुर और कटनी की धान छत्तीसगढ के मिलर्स को दी जा रही है। जबकि मध्यप्रदेश में उष्णा चावल की खपत नही है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक 2 लाख 74 हजार क्विंटल बालाघाट एवं 2 लाख 94 हजार क्विंटल जबलपुर से धान की कस्टम मिंलिंग का एग्रीमेंट कराया जा चुका है। बालाघाट जिला प्रदेश में सर्वाधिक धान उत्पादक जिला है और यह 100 से अधिक राईस मिले हैं। जिन्होने शासन से अनुदान और बैंकों से कर्ज लेकर अपना उघोग स्थापित किया है लेकिन स्थानीय राईस मिलर्स की अवहेलना कर भारी भरकम भ्रष्टाचार के चलते प्रदेश के बाहर राईस मिलर्स से कस्टम मिलिंग करवाकर सरकारी खजाने को परिवहन व्यय और अन्य मदों के माध्यम से करोडों रूपयों का चूना लगाया जा रहा है।

वहीं अधिकारी ऐसे बेतुके निर्देश जारी कर नजराने के तौर पर करोडों रूपये अपनी जेब में समेटने में लगे है। प्रबंधक संचालक के इस फैसले के विरूद्ध जिले के राईस मिलर्स एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन के लिये तत्पर है उन्होने जिला कलेक्टर एवं सासंद बोधसिंग भगत को इस संबंध में अवगत करा दिया है।

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