इंदौर। क्राइम ब्रांच ने फर्जी आईएएस अफसर और एजुकेशनल सेंटर संचालक को गिरफ्तार किया है। आरोपी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश कराने और विदेश भेजने का झांसा देकर लाखों की ठगी कर रहे थे। पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक बार कोड वाला कार्ड, चेक, विजिटिंग कार्ड और मोबाइल जब्त किए हैं। आरोपी यूपी के गैंगस्टर का साथी है।
एएसपी (क्राइम) के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों का नाम एनके सिंह उर्फ नवभीत कुमार उर्फ नवमीत कुमार(34) निवासी कंपनी सराय रौजा रोड तहसील सासाराम, रोहतास (बिहार) और विशाल ठाकुर (38) निवासी रास्तीपुर, बुरहानपुर है।
उनके खिलाफ दिनेश अत्रे निवासी विष्णुपुरी खंडवा रोड (खरगोन) ने ठगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। अत्रे ने पुलिस को बताया कि वह बेटे अभिनंदन का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कराने का सोच रहा था। 26 मई को अचानक मैसेज मिला, जिसमें लिखा था- बगैर परीक्षा दिए इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलवाने और विदेश जाने के इच्छुक संपर्क कर सकते हैं। अत्रे की इस नंबर पर विशाल से बात हुई। उसने कहा कि उसका ओल्ड पलासिया के यश अपार्टमेंट में श्री गुरु एजुकेशनल सर्विसेस के नाम से ऑफिस है। उसका परिचय सीनियर आईएएस अफसर से है। उसके जरिये वह सेंट्रल पूल कोटा योजना की सीमित सीट्स पर बगैर परीक्षा प्रवेश दिलवा देगा।
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स में पोस्टिंग बताई
अत्रे शुक्रवार को मिलने के लिए इंदौर आए। विशाल ने दूसरे ठग से मुलाकात करवाई और कहा कि उसका नाम एनके सिंह है। वह 2003 बैच का गुजरात कैडर का आईएएस अफसर है और फिलहाल मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स में पदस्थ है। उसने बार कोड वाला कार्ड भी दिखाया। मोबाइल पर रीडर एप के जरिये स्कैन कर डिकोड किया तो एनके सिंह नाम सामने आया।
विशाल ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में अन्य राज्यों के छात्रों का कोटा होता है, जिसे केंद्र शासन के गृह मंत्रालय के जरिये अलॉट किया जाता है। इसमें प्रवेश लेने के लिए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति सहायता कोष में रुपए जमा करवाने पड़ेंगे। अत्रे ने बेटे अभिनंदन का मेडिकल कॉलेज में प्रवेश कराने के लिए 35 लाख में डील की। उन्होंने दोस्त (रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर) से 3.50 लाख का चेक लेकर दे दिया।
आईएएस लिस्ट सर्च की, फिर क्राइम वॉच को बताया
आरोपियों ने कहा था कि 35 लाख रुपए देने के बाद पांच साल तक एजुकेशनल फीस नहीं भरना पड़ेगी। छात्र को सिर्फ खाने और रहने का खर्च देना होगा। फिलहाल 15 लाख रुपए लगेंगे। शेष 20 लाख प्रवेश होने पर देना होंगे। शक न हो, इसके लिए ठगोरों ने नवभीत कुमार का चेक भी दे दिया। साढ़े तीन लाख का चेक देने के बाद अत्रे को शक हुआ। इंटरनेट पर आईएएस लिस्ट सर्च की तो पता चला कि एनके सिंह फर्जी है। इस नाम से वर्ष 2003 में कोई अफसर नहीं बना। तुरंत क्राइम वॉच पर एसएमएस कर ठगी के बारे में बताया। टीम ने शनिवार को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया।