जबलपुर। अधिकारी अक्सर छोटे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर देते हैं। मप्र का प्रशासनिक ताना बाना ऐसा है कि अधिकारियों की अवैध कार्रवाईयों का भी पालन हो जाता है और कर्मचारी हर बड़े अधिकारी से डरता रहता है, लेकिन प्रस्तुत प्रकरण में ऐसा नहीं हुआ। मामले में हाईकोर्ट ने माना कि अपर आयुक्त को पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है, अत: अपर आयुक्त आयुक्त द्वारा की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया गया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की समर वेकेशन बेंच ने (30/05/2016) अपर आयुक्त के आदेश को विधिसम्मत न पाते हुए रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति संजय यादव की ग्रीष्म अवकाशकालीन एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता संटूलाल उइके ग्राम पंचायत बेलगांव मार्ग, जनपद पंचायत जुन्नारदेव जिला छिंदवाड़ा में सचिव के पद पर कार्यरत है। उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार आयुक्त को था, इसके बावजूद अपर आयुक्त ने आदेश पारित कर दिया।
चूंकि निर्धारित नियम की अवहेलना की गई है, अतः न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। मुख्य मांग यही है कि अपर आयुक्त के आदेश को रद्द करके नियमानुसार आयुक्त के समक्ष अपील की सुनवाई की व्यवस्था दी जाए। हाईकोर्ट ने मांग को विधिसम्मत पाते हुए पूरा कर दिया।