
बस देखते ही रह गए
दरअसल पहले बेटे की जिद के आगे परिवार की भी नहीं चल रही थी। पिताजी ने तो शिवराज सिंह से पहले उनके छोटे भाई-बहनों की शादी करना शुरू कर दिया था। जब 33 साल की उम्र में उनकी बहन ने जिद की कि बस एक बार वो साधना को देख लें, फिर चाहें तो मना कर दें। शिवराज गोदिंया पहुंचे तो साधना को देखकर वे अपना दिल उन्हें दे बैठे।
शिवराज का सरल स्वभाव भा गया साधना को
शिवराज सिंह की जब शादी हुई तो वे सांसद थे। साधना को भी शिवराज बहुत पसंद आए थे। खासकर उनके सरल स्वभाव ने साधना को खूब आकर्षित कर लिया था। शिवराज जानते थे कि राजनीति के साथ शादीशुदा जीवन एक कठिन परीक्षा है लेकिन उनकी जीवनसंगिनी हर परीक्षा में उनके साथ रही। आज शिवराज-साधना शादी की 24वीं सालगिरह मना रहे हैं तो अपनी राजनीतिक सफलता और सामाजिक जीवन की सफलता में वे साधना का अहम योगदान मानते हैं।
अपने ही घर में काम करने वाले मजदूरों के लिए किया आंदोलन
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन किशोरावस्था में अपने ही घर में काम करने वाले मजदूरों की पगार बढ़ाने की मांग को लेकर शिवराज ने आंदोलन किया था। शिवराज कक्षा चौथी के बाद भोपाल पढ़ने आए तो पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति में भी रम गए। स्कूल और कॉलेज के समय से ही वे राजनीति में सक्रिय हुए लेकिन शादी करने की उनकी कभी इच्छा नहीं थी।
सांसद बन जाने के बाद भी शिवराज एकाकी जीवन बिताकर राजनीति के जरिए समाज सेवा और जन कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहते थे। परिवार का शादी के लिए दबाव था लेकिन सियासत में पूरी तरह रम चुके शिवराज लगातार अपनी शादी टालते जा रहे थे। परिवार की भी शिवराज के आगे चल नहीं रही थी और पिता भी शिवराज की जिद के आगे हार मान चुके थे। लेकिन शायद नियति ने शिव और साधना की जोड़ी पहले ही तय कर दी थी और आखिरकार 1992 में 33 साल की उम्र में बहन की जिद पर शिवराज सिंह शादी के लिए राजी हो गए।
शादी के पहले साधना से छुपकर मिलते थे शिवराज, लिखा था लवलेटर
बहन की जिद के चलते शादी के लिए तैयार हुए शिवराज सिंह 1992 में गोदिंया के मतानी परिवार की बेटी साधना को देखने के लिए पहुंचे। साधना को देखते ही शिवराज शादी के लिए तैयार हो गए। साधना के मम्मी-पापा शिवराज सिंह के स्वभाव से प्रभावित थे तो साधना को शिवराज का सरल स्वभाव भा गया। साधना को उनके व्यक्तित्व में किसी फिल्मी हीरो जैसा साहस नजर आया।
शादी लगभग तय हो गयी थी जिसके बाद शिवराज ने अपना हाल-ए-दिल बयां करने के लिए साधना को एक लव लेटर भी लिखा था। शादी के पहले शिवराज और साधना छुप-छुपकर चार-पांच बार मिले भी थे। शिवराज अपने घर में झूठ बोलकर साधना सिंह से मिलने जाते थे। शादी के पहले शिवराज और साधना ने होली भी साथ मनायी थी। इस मौके पर शिवराज सिंह ने साधना को गुलाब का फूल देकर अपने प्यार का इजहार किया था।
शिवराज की व्यस्तता कभी नहीं बनी परेशानी
आखिरकार 33 साल की उम्र में 6 मई 1992 को शिवराज की शादी गोंदिया के मतानी परिवार की बेटी साधना से हो गयी। शादी के बाद उनके दो बेटे कार्तिकेय और कुणाल पैदा हुए। राजनीतिक व्यक्ति से शादी करने के साथ साधना भी जानती थी कि उनका जीवन आम पति- पत्नी की तरह नहीं बीतने वाला है। शिवराज सिंह ने भी शादी के पहल ही साधना को बता दिया था कि सार्वजनिक जीवन में सामान्य परिवार की तरह जीवन नहीं जी सकते। उन्होंने बता दिया था कि सवेरे घर से निकले और शाम तक घर न आ पाएं तो झगड़ा नहीं होना चाहिए।
साधना ने शिवराज की व्यस्तता से हमेशा समझौता किया और आम पत्नी की तरह कभी जिद नहीं की। हालांकि जब बच्चे स्कूल जाने लगे तो स्कूल में बच्चों की पेरेंट्स टीचर मीटिंग में शिवराज के न जाने की शिकायतें साधना सिंह के लिए हमेशा बनी रहीं। लेकिन साधना ने इस जिम्मेदारी को माता-पिता की तरह अकेले निभाया। इस बात को लेकर शिवराज अपनी पत्नी की तारीफ करते थकते नहीं हैं। शिवराज सिंह कहते हैं हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है और उनके पीछे उनकी पत्नी साधना वही महिला हैं।