भोपाल। अफसरशाही शिक्षकों को परेशान व अपमानित करने के नित नए तरीके खोज निकालती है। सभी कर्मचारियों को माह में 2 शनिवार अवकाश मिलता है, शिक्षकों को यह अवकाश नहीं दिया जाता। बावजूद इसके ग्रीष्मकालीन अवकाश का अवसर भी छीन लिया जाता है। खंडवा कलेक्टर ने तो हद ही कर दी। उन्होंने शिक्षकों की ड्यूटी जूता चप्पल स्टेंड पर लगा डाली।
यूं तो श्रृद्धालुओं की सेवा करना हरकोई अपना धर्म मानता है परंतु यदि बाध्यता हो जाए तो अपमान का एहसास होता है। खंडवा में कुछ ऐसा ही हुआ है। कलेक्टर के आदेशनुसार शिक्षकों को अगले 22 दिनों तक ओंकारेश्वर में जूता चप्पल स्टेंड संभालना होगा। आदेश का पालन ना करने पर सस्पेंड कर दिया जाएगा।
पढ़िए एक शिक्षक का यह ईमेल जो भोपाल समाचार को प्राप्त हुआ:
जैसा कि विदित है कि संसार में एक शिक्षक की तुलना ब्रहम्मा विष्णु और शिव के जैसे महान देवताओं से की गयी है और समाज में भी गुरु का पद सर्वश्रेष्ट माना गया है। परन्तु इन सब बातों को दरकिनार करते हुए खंडवा क्लेक्टर डॉ.ऍम के अग्रवाल द्वारा दिनांक 9 मई 2016 पवित्र पर्व अक्षय तृतीया के दिन ये कैसा आदेश प्रसारित किया गया है जिसमे शिक्षकों को जूते चप्पल के रख रखाव हेतु निर्देशित किया गया है। इसके अलावा भी अनेक कार्य हैं जो शिक्षकों से करवाये जा सकते हैं परंतु एक गुरु और देव तुल्य शिक्षक से इस प्रकार का कार्य करवाना किस प्रकार उचित है। ये शिक्षकों का प्रदेश में हो रहे अपमान को भी उजागर करता है कि एक शिक्षक की ड्यूटी 22 दिन जूते चप्पल के संधारण में लगाई जाए वो भी प्राचार्य के पद पर आसीन वरिष्ठ लोगों की।
अतः मैं भोपाल समाचार के माध्यम से निवेदन करता हुँ कि इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर इस आदेश को यथाशीघ्र निरस्त करवाने का कष्ट करें
निवेदनकर्ता ::--विजय सोनी (शिक्षक ) हटा जिला दमोह मध्य प्रदेश