राशन दुकानों में कालाबाजारी करवाते हैं मंत्री, कार्रवाई की तो बर्खास्त कर दिया

भोपाल। प्रदेश के राजस्व मंत्री रामपाल सिंह पर बर्खास्त फूड इंस्पेक्टर कालूराम जैन ने रायसेन जिले के बरेली क्षेत्र में राशन दुकानों में कालाबाजारी करवाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। कालूराम जैन आज मंगलवार की सुबह एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उनका कहना था कि प्रदेश मंत्री रामपाल सिंह के रिश्तेदारों की 32 राशन दुकानों के विरुद्ध कालाबाजारी एवं अनियमितताओं के प्रकरण तैयार कर दुकानों को निरस्त कराना उन्हें मंहगा साबित हुआ है। 

सरकार ने बजाए अवैध तरीके से संचालित इन दुकानों को निरस्त कराने, उल्टा उन्हीं पर रिश्वतखोरी व आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगाकर शासकीय सेवा से बर्खास्त करवा दिया है। कालूराम जैन ने आगे बताया कि 6 अगस्त 2011 को बरेली में असिस्टेंट फूड इंस्पेक्टर के पद पर उनकी पोस्टिंग की गई थी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन संचालित शासकीय उचित मूल्य दुकानों को मध्यप्रदेश शासन के तत्समय कानून अनुसार दुकानों को आवंटित कराना, उनको प्राधिकार पत्र जारी कराने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी। 

कालूराम जैन का कहना है कि जब उन्होंने कार्यभार संभाला तो दस्तावेजों के अवलोकन से ज्ञात हुआ कि बरेली अनुविभाग की 131 सरकारी उचित मूल्य दुकानों को जो कि कोटा जिले से प्राप्त होता है, उसमें से छह हजार लीटर कैरोसिन बगैर राशन कार्डों की संख्या का मूल्यांकन किए बाड़ी के सेमीहोलसेलर को अतिरिक्त प्रदाय करके चालीस हजार रुपए प्रति माह की घूस वसूली की जाती थी। कालूराम जैन का कहना है कि इनमें से 21 राशन दुकानें ऐसे लोगों को दी गई थी जो कानूनी तौर पर इन दुकानों को चलाने के पात्र नहीं थे। 

कालूराम जैन ने कहा कि  प्रदेश मंत्री रामपाल सिंह के कई रिश्तेदार उदयपुरा क्षेत्र में बगैर किसी सहकारी संस्था के ही दुकानें संचालित कर रहे थे। उनका कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर मोहनलाल मीणा एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय सिंह ने इस भ्रष्ट व्यवस्था को दुरुस्त कराने के लिए उनकी पदस्थापना बरेली में की थी। कालूराम जैन का कहना है कि उन्होंने मंत्री रामपाल सिंह के रिश्तेदारों की 32 दुकानों के विरुद्ध कालाबाजारी एवं अन्य अनियमितताओं के प्रकरण तैयार कर दुकानों को निरस्त कराकर लाखों रुपए के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई थी, लेकिन इस काम का खामियाजा उन्हें एवं परिवार को भुगतना पड़ा। 

कालूराम जैन का कहना है कि 22 मार्च 2012 को श्रवण कुमार ठाकुर नामक व्यक्ति ने उनके विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस में एक झूठा आवेदन दर्ज कराया। 28 मार्च 2012 की शाम श्रवण कुमार करीब आठ पुलिस कर्मचारी लेकर उनके कार्यालय पहुंचा और प्लानिंग कर तीन हजार रुपए की झूठी रिश्वत लेने का प्रकरण तैयार किया। कालूराम जैन का कहना है कि इसी के साथ उन पर आय से अधिक संपत्ति रखने का प्रकरण लोकायुक्त डीएसपी डीएस रघुवंशी से तैयार करवाया गया। रिश्वत लेने का प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए विभाग के प्रमुख सचिव के पास गया और विभाग ने बगैर किसी शासकीय रिकार्ड के स्वयं पर छापे के डर से झूठा प्रमाणित किया। 

कालूराम जैन का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है। कालूराम जैन का कहना है कि उनकी ईमानदारी का फल कुछ इस तरह प्राप्त हुआ कि उन्हें इन सभी राजनीतियों के चलते नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, जिस कारण उनकी पेंशन, वेतन भत्ते, ग्रेच्युटी, जीपीएफ सभी के भुगतान बंद कर दिए गए। कालूराम जैन का कहना है कि इन सभी आधारों पर यह ज्ञात हुआ है कि आज इस के प्रजातंत्र राज में मंत्रियों की तानाशाही सभी पर भारी है। लोकायुक्त पुलिस भी आरोपियों का साथ देकर निर्दोषों को गुनहगार बनाती है। कालूराम जैन का कहना है कि उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ते-लड़ते उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

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