
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चतुर्वेदी ने कहा कि एक महिला होने के नाते सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन यदि आप एक खुली और स्वतंत्र सोच वाली महिला हैं तो यहां बहुत बुरा हो सकता है। उन्होंने देश में मौजूदा कानून व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा- 'अगर कोई सोचता है कि इन हरकतों से मुझे डराया जा सकता है तो वह गलत सोच रहा है। मैं ऐसी धमकियों का जिक्र करके यह बताना चाहती हूं कि इस तरह की बदमाशी तब तक जारी रहेगी, जब तक कि ऐसे लोग कोर्ट से जमानत पाते रहेंगे।'
उन्होंने कहा कि जो एक राजनीतिक पार्टी (कांग्रेस) से जुड़ा हो उसके लिए सोशल मीडिया पर इस तरह की समस्याओं का सामना करना रोज की बात है, क्योंकि आईपीसी में ऐसा कोई सशक्त विकल्प उसके पास मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि गाली सुनने वाले को कानून की तरफ से यहां तुरंत कोई राहत नहीं मिल सकती है और आईपीसी की धाराएं ऐसी हैं, जिनसे दोषी को बेल मिल जाती है।