मप्र में शराबबंदी के लिए आंदोलन चलाएगी कांग्रेस

भोपाल। शराब बंदी को लेेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अरूण यादव ने पत्रकार बंधुओं से निम्न बिंदुओं पर आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में की चर्चा 

प्रदेश में रोज सवा तीन लाख लीटर शराब लोग अपनी हलक में   उतारते हैं। 
75 फीसदी महिलायें शराब के कारण घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। 
सड़क दुर्घटनाओं में 58 फीसदी मौतें शराब के नशे के कारण होती हैं।
शहरी इलाकों में 43 फीसदी लड़कियों, महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाऐं शराब की वजह से होती है।
20 फीसदी रंजिश और प्रतिशोध की घटनायें शराब के कारण होती है। 
15 फीसदी लोग शराब के नशें के कारण कर्जदार होते हैं। 
शराब की वजह से केंसर जैसी महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
जिस परिवार में एक भी व्यक्ति शराब का सेवन करता है, उसका पूरा परिवार, महिलायें, छोटे-छोटे बच्चे, शराब के शिकार हो रहे हैं।
गरीब तबके का व्यक्ति दिन भर की कमाई शराब में उड़ा रहा है।

जिस प्रदेश में मुखिया शिवराजसिंह चौहान अपने आप को प्रदेश की बहनों का भाई और भांजे-भांजियों का मामा बताते हों, जहां करोड़ों रूपयों के विज्ञापनों को प्रसारित/प्रकाशित कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, लाड़ली लक्ष्मी, कन्यादान जैसी योजनाऐं कथित तौर पर संचालित हो रही हों, लड़कियों, और महिलाओं को लेकर हो रहे अपराध के मामलों में प्रदेश नंबर-1, पर हो, वहां राज्य सरकार द्वारा वैध-अवैध रूप से शराब परोसने के बाद न तो बहन-बेटियां सुरक्षित होंगी, उक्त योजनाओं का लाभ वे नहीं उठा पायेंगीं, और न ही बेटी बचेगी और पढ़ भी नहीं पायेगी। इस लिहाज से जरूरी है कि मध्यप्रदेश शराब मुक्त हो। 

मध्यप्रदेश में शराब बंदी को लेकर कांग्रेस विभिन्न चरणों में सड़कों पर रचनात्मक आंदोलन चलायेगी और सामाजिक सरोकार से जुड़े इस आंदोलन को यदि पार्टी को गैर राजनैतिक ढंग से भी संचालित करना पड़ा तो पार्टी इसमें कोई संकोच नहीं करेगी। आंदोलन के प्रथम चरण में शराब बंदी के खिलाफ प्रचार-प्रसार हेतु पोस्टर, होडिंग्स, बेनर और पेंपलेट वितरित किये जायेंगे। विभिन्न सामाजिक गोष्ठियों, महिला संगठनों की बैठकों के माध्यम से सामाजिक चेतना का संचार किया जायेगा। राजनैतिक-गैर राजनैतिक संगठनों के साथ विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का भी इसमें सहयोग लिया जायेगा। अवैध रूप से सरकार और भाजपा नेताओं के संरक्षण में की जा रही शराब बिक्री को लेकर भी आंदोलन का रूप सशक्त होगा। 

विभिन्न धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं के नजदीक नियम विरूद्ध संचालित हो रही देशी-विदेशी शराब दुकानों के खिलाफ जन संगठनों केा साथ लेकर धरना-प्रदर्शन, संबंधित वरिष्ठ जिला प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन इत्यादि सौंपे जायेंगे। इसके बावजूद भी यदि निर्धारित अवधि मंे कोई असरकारक कार्यवाही नहीं हुई तो जिला स्तर पर चक्काजाम और मध्यप्रदेश बंद जैसे आयोजन भी किये जायेंगे। 

इन सभी जन आंदोलनों/कार्यक्रमों में सभी धर्मों के प्रमुखों और साधु-संतों का भी मार्गदर्शन/ सहयोग लिया जायेगा। 

आंदोलन का यह पहला चरण होगा, जो विभिन्न चरणों से गुजरते हुए प्रदेश में संपूर्ण शराबबंदी तक जारी रहेगा, क्योंकि सामाजिक सरोकार से जुड़ा पार्टी का यह संकल्प मध्यप्रदेश की सात करोड़ जनता और विशेषकर हमारी माँ-बहनों के सम्मान, प्रगति और विकास से सीधा जुड़ाव रखे हुए है। यदि एक गरीब और पिछड़ा कहे जाने वाला बिहार प्रदेश इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने का संकल्प लेते हुए राजस्व की चिंता किये बगैर इस दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वर्तमान दौर में पूरे देश को दिशा प्रदान कर सकता है, तो मध्यप्रदेश क्यों  नहीं ?
कांगे्रस का मानना है कि शराब जैसी सामाजिक बुराईयों से जितनी राजस्व की प्राप्ति किसी प्रदेश को नहीं होती होगी, उससे चार गुना अधिक धन राशि उस राज्य को इस सामाजिक बुराई की वजह से होने वाली गंभीर बीमारियों के उपचार हेतु खर्च करना पड़ती है।

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