प्रमोद साहू/रायपुर। प्रदेशभर में चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्क की जा रही है और नीलाम करके लोगों को थोड़े-बहुत पैसे लौटाने की कोशिश शुरू हो गई है। 30 बड़ी कंपनियों की संपत्तियां नीलामी की जाने वाली हैं जो करीब 600 करोड़ समेटकर फरार हो चुकीं हैं। चिटफंड कंपनियों से पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए राज्य में छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2015 में लागू हुआ है। कानून लागू होने के बाद जिस केस में एफआईआर दर्ज हुई, उन्हीं कंपनियों की संपत्ति कुर्क कर पीड़ितों को मुआवजा दिलाया जाएगा।
राजधानी सहित पूरे प्रदेश में अब तक 68 कंपनियों के खिलाफ चारसौबीसी की रिपोर्ट दर्ज कराई जा चुकी है। हजारों पीड़ितों की यही शिकायत है कि कंपनियों ने लुभावनी स्कीम का झांसा देकर उनसे लाखों रुपए इन्वेस्ट करवाए, लेकिन जब उनकी स्कीम की अवधि पूरी हुई तब कंपनी पैसे देने से मुकर गई और धीरे-धीरे उनके दफ्तरों में ताला लग गया।
संपत्ति कुर्की का नियम :
- चिटफंड एक्ट 2005 के धारा 1 में कलेक्टर को कार्रवाई करने का पूरा अधिकार दिया गया है।
- धारा 6 में कलेक्टर को ऐसी कंपनी के संपत्ति कुर्क करने या अभिरक्षा में रखने का अधिकार है।
- धारा-7 में कलेक्टर को संपत्ति सीधे या कोर्ट के जरिए नीलाम कर पैसे लौटाने का अधिकार है।
- पुलिस ऐसे फ्रॉड कंपनियों की संपत्ति की पहचान कर जिला प्रशासन को सूची सौंपती भेजती है।
- पैसा दिलाने के लिए पुलिस जिला प्रशासन को संपत्ति के नीलामी के लिए अनुशंसा भी करती है।