
बुरहानपुर में पदस्थ व नीमच निवासी कांस्टेबल सूरजसिंह चुंडावत ने हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा था- ‘मुझे 16500 रुपए वेतन मिलता है। इसमें से 3000 रुपए मकान किराया, 2000 से 3000 रुपए पेट्रोल खर्च, 2500 रुपए खाने के, 1500 से 2000 रुपए अन्य खर्च है। मुश्किल से पांच से छह हजार रुपए बचते हैं। इतने कम रुपयों में घर चलाना मुश्किल है। इतनी तनख्वाह तो कीजिए कि घर चला सकूं या फिर ड्यूटी टाइम 18 घंटे से घटाकर 8 घंटे कर दीजिए।’
काम बंद नहीं किया
पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ। इसके बाद चुंडावत को लाइन हाजिर कर दिया गया। यह खबर भी वायरल हुई तो प्रदेशभर के कांस्टेबल ने चुंडावत के समर्थन में अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल में फोटो की जगह ब्लैक बैकग्राउंड वाला लोगो लगा दिया। इस बारे में मंदसौर जिले के एक कांस्टेबल ने कहा- ‘हम विरोध नहीं कर रहे, बल्कि अपनी सीमा में रहकर अपने साथी का समर्थन कर रहे हैं। उसने हमारी आवाज उठाई।’
यह अनुशासनहीनता नहीं
सवाल उठ रहा है कि पुलिसकर्मी इस तरह से विरोध या समर्थन कर सकते हैं? पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा कहते हैं ‘इसे लेकर पुलिस रेग्यूलेशन एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए इसे अनुशासनहीनता माने या न माने। यह सवाल वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी बड़ा है। पुलिसकर्मियों की सुविधाओं की बात है, हम पूरा ख्याल रखते हैं।’