
सभी ने पदोन्नत अध्यापको को बधाई और जिला शिक्षा अमले को हार्दिक आभार जताया जिसमे जीवविज्ञान व संस्कृत मे मनचाहा स्थान उपलब्ध न होने के चलते सरिता वर्मा,अनुराधा मेहरा जैसे 6 अध्यापको ने पदोन्नति के प्रति असहमती जताई और शाला चयन से इंकार कर दिया,अन्ग्रेजी के सभी अध्यापको ने आम सहमती बनाकर अनुकूल स्थान चयन पर सहमति से स्थान चुना। एक समय तो डीईओ द्वारा आते ही अन्ग्रेजी की काउँसलिंग साल मे बेबजह दूसरी बार रोकने का असफल प्रयास किया जैसा कि वे पिछली मई 2015 मे भी मनमर्जी से यह पदोन्नति पर रोक लगा चुके थे जिस वजह से 1 साल बाद दुबारा यह पदोन्नति प्रक्रीया आयोजन हुआ मगर इस बार शिक्षक संघ के अध्यापक प्रमुख एसपी त्यागी ,सुनील किरार और अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष अजित जाट के सक्रीय विरोध के चलते उन्हे काउँसलिंग रोकने के बाद पुन: करानी पडी।
अध्यापको ने बताया कि जब न तो उच्चअधिकारी का आदेश है और न ही हाईकोर्ट का विधिवत स्टे का ओर्डर भी नही होने के बाबजूद सिर्फ एक साल से पेंडिंग चली आ रही याचिका क्रमांक 8024/2015 को बेबजह तूल देकर न जाने क्युँ डीईओ अँग्रेजी की पदोन्नति न करने की मानो ठाने बैठे है। इस पूरे घटनाचक्र के बाद अन्ग्रेजी के अध्यापक पदोन्नति आदेश को लेकर सन्शकित है क्यूकि डीईओ ने अंत मे कोर्ट मेटर पर जिला पंचायत सीईओ से चर्चा उपरान्त आदेश जारी करने की घोषना की जिससे शिक्षक संघ जिला सचिव आनंदप्रकाश श्रीवास्तव ने सीईओ प्रतिभा पाल से माँग की है कि वो अध्यापक हितो को नज़र मे रखते हुए निर्णय करे मात्र एक बेबुनियाद याचिका जिसकी विगत एक वर्ष से ढंग से हाईकोर्ट मे कोई सुनवाई तक नही हो सकी है उसके आधार पर पदोन्नत हो चुके अध्यापको को उनकी चयनित शाला मे पदभार ग्रहन से रोकना उन पर असमानता का व्यवहार और प्रशासनिक अत्याचार के समान होगा।
यह तीन विषय के अध्यापक वैसे भी डीईओ कार्यालय के पिछली बार लिये गये अव्यवाहारिक और अदूरदर्शी पदोन्नति पर रोक के निर्णय का खामीयाजा विगत एक वर्ष की अपनी वरिषठता खोकर भुगत रहे है दुबारा उन पर वही मानसिक शोषन की कार्यवाही न की जावे और पदोन्नति आदेश तत्काल जारी हो जिससे वेवजह आदेश के नाम पर और अधिक भ्रषटाचार की गुनजाईश न बन सके।
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